मुख्य मास्टरमाइंड, दिल्ली दंगों का फंडर: पुलिस ने विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए ताहिर हुसैन की अंतरिम जमानत याचिका का विरोध किया
Amir Ahmad
14 Jan 2025 2:43 PM IST

दिल्ली पुलिस ने मंगलवार को आम आदमी पार्टी (AAP) के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन द्वारा 2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों के मामले में अंतरिम जमानत की मांग करने वाली याचिका का विरोध किया, जिससे वह ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) पार्टी के सदस्य के रूप में मुस्तफाबाद निर्वाचन क्षेत्र से आगामी विधानसभा चुनावों में भाग ले सकें।
जस्टिस नीना बंसल कृष्णा ने फैसला सुरक्षित रखा और कहा कि आदेश चैंबर में सुनाया जाएगा।
सीनियर एडवोकेट रेबेका जॉन हुसैन की ओर से पेश हुईं और उन्होंने नामांकन दाखिल करने और चुनाव प्रचार समाप्त करने के लिए 16 जनवरी से 09 फरवरी तक अंतरिम जमानत मांगी।
एएसजी चेतन शर्मा, एसपीपी रजत नायर के साथ दिल्ली पुलिस की ओर से पेश हुए और अंतरिम जमानत याचिका का विरोध किया।
शर्मा ने कहा कि नामांकन दाखिल करने, जांच और बैंक खाते खोलने के लिए हुसैन को हिरासत में पैरोल दी जा सकती है। हालांकि उन्होंने चुनाव प्रचार के लिए हुसैन को अंतरिम जमानत पर रिहा करने का कड़ा विरोध किया।
शर्मा ने कहा कि चुनाव लड़ने का अधिकार मौलिक अधिकार नहीं है और हुसैन पर जघन्य आरोप लगाए गए।
उन्होंने कहा,
"आप नामांकन दाखिल कर सकते हैं और खुद को उम्मीदवार के तौर पर पेश कर सकते हैं लेकिन प्रचार नहीं कर सकते और गवाहों को प्रभावित नहीं कर सकते मुकदमा बहुत महत्वपूर्ण चरण में है। चार गवाह पहले ही मुकर चुके हैं।”
शर्मा ने आगे कहा कि हुसैन दंगों का मुख्य साजिशकर्ता मास्टरमाइंड और फंडर है और UAPA और PMLA मामलों सहित तीन मामलों में जेल में है।
एएसजी ने कहा,
"UAPA और ED मामलों में जेल नियम है और जमानत अपवाद है। यहां हम हिरासत पैरोल के लिए तैयार हैं, भले ही चुनाव लड़ना मौलिक अधिकार न हो। हम यह स्वीकार कर रहे हैं कि नामांकन दाखिल करने में उनकी सुविधा के लिए हिरासत पैरोल दी जाए। अन्य लोगों की तरह वह भी चुनाव लड़ सकते हैं। वे भी जीते हैं। लोग जेल में बैठकर जीते हैं।”
इसके अलावा शर्मा ने कहा,
"मुख्य राहत नामांकन दाखिल करने और बैंक खाते खोलने आदि के लिए है। कोई समस्या नहीं है। लेकिन "चुनाव की प्रक्रिया" में आपको चार सप्ताह तक बाहर रखना, इसका विरोध किया जाता है। इससे समस्याएं पैदा होंगी।"
हुसैन की ओर से पेश होते हुए जॉन ने कहा कि PMLA मामले में वह पहले ही हिरासत की आधी से अधिक अवधि काट चुका है। उसे अभी तक दोषी भी नहीं ठहराया गया और सभी 11 एफआईआर में उसे बरी किया जा सकता है।
उन्होंने कहा,
“अगर मुझे अन्य दो मामलों (UAPA और PMLA) में (अंतरिम) जमानत नहीं मिलती है तो मैं बाहर नहीं आऊंगा लेकिन मैं 5 तारीख को तुरंत आत्मसमर्पण कर दूंगा। अगर मुझे नामांकन दाखिल करने और बैंक खाता खोलने के लिए हिरासत पैरोल भी दी जाती है तो मैं इसे लेने को तैयार हूं, लेकिन मुझे प्रचार करने की अनुमति दी जाए।”
दंगों के दौरान इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) के कर्मचारी अंकित शर्मा की हत्या के मामले में हाईकोर्ट के समक्ष अंतरिम जमानत याचिका दायर की गई। समन्वय पीठ ने पिछले साल 24 दिसंबर को मामले में हुसैन की नियमित जमानत याचिका पर नोटिस जारी किया। हुसैन को परिस्थितियों में भौतिक परिवर्तन की कमी के कारण 03 दिसंबर को ट्रायल कोर्ट ने जमानत देने से इनकार किया।
हुसैन की जमानत एडवोकेट तारा नरूला, सोनल सारदा, शिवांगी शर्मा और नोयोनिका के माध्यम से दायर की गई। मृतक के पिता द्वारा की गई शिकायत के आधार पर दयालपुर पुलिस स्टेशन में FIR 65/2020 दर्ज की गई थी। जब दंगों के दौरान उनका बेटा लापता हो गया तब उन्होंने गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। बाद में अंकित का शव एक नाले से बरामद किया गया।
जीटीबी अस्पताल ने उसे मृत घोषित कर दिया। शिकायतकर्ता का बेटा अंकित शर्मा, जो इंटेलिजेंस ब्यूरो में कार्यरत अधिकारी था, किराने का सामान और सामान्य घरेलू सामान खरीदने के लिए उक्त तिथि को शाम लगभग 5 बजे अपने घर से निकला था। हालांकि, वह कई घंटों के बाद भी घर नहीं लौटा।
बाद में उसका शव चांद बाग पुलिया के पास एक नाले में पड़ा मिला। उसके सिर, चेहरे, छाती, पीठ और कमर पर तेज चोटें आईं। इसके बाद शिकायतकर्ता ने FIR दर्ज कराई, जिसमें कहा गया कि उसे पक्का संदेह है कि उसके बेटे की हत्या मुख्य आरोपी ताहिर हुसैन और उसके साथियों ने की है।
मृतक अंकित शर्मा की पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चला कि धारदार हथियार और कुंद बल के कारण 51 चोटें आईं।
पिछले साल मार्च में ट्रायल कोर्ट ने ताहिर हुसैन, हसीन, नाजिम, कासिम, समीर खान, अनस, फिरोज, जावेद, गुलफाम, शोएब आलम और मुंतजिम के खिलाफ आरोप तय किए। भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 147, 148, 153A, 302, 365, 120B, 149, 188 और 153A के तहत आरोप तय किए गए। हुसैन पर आईपीसी की धारा 505, 109 और 114 के तहत भी आरोप लगाए गए थे। आरोपी नाजिम पर आर्म्स एक्ट की धारा 25 के तहत भी आरोप लगाए गए।
केस टाइटल: ताहिर हुसैन बनाम राज्य