उत्तर कुंजी में गलती के बावजूद न्यायिक सेवा उम्मीदवार को राहत देने से हाईकोर्ट का इनकार, पूर्व आदेश का दिया हवाला

Amir Ahmad

6 May 2025 11:35 AM IST

  • उत्तर कुंजी में गलती के बावजूद न्यायिक सेवा उम्मीदवार को राहत देने से हाईकोर्ट का इनकार, पूर्व आदेश का दिया हवाला

    एक असामान्य आदेश में दिल्ली हाईकोर्ट ने 2023 दिल्ली न्यायिक सेवा परीक्षा की उत्तर कुंजी को चुनौती देने में तर्क पाया लेकिन प्रभावित अभ्यर्थी को कोई राहत नहीं दी, क्योंकि एक समान मामले में एक समकोण पीठ द्वारा राहत देने से इनकार कर दिया गया था।

    जस्टिस सी. हरि शंकर और जस्टिस अजय दीगपाल की खंडपीठ ने कहा कि उसे न्यायिक अनुशासन का पालन करना पड़ा।

    भारतीय अनुबंध अधिनियम की धारा 20 स्पष्ट रूप से कहती है कि ऐसा अनुबंध जिसमें दोनों पक्ष तथ्य की भूल में हों अमान्य (Void) होता है।

    याचिकाकर्ता ने प्रश्न 11(IV) में गलत (False) विकल्प को चिन्हित किया, जो यह कहता है कि ऐसा अनुबंध दोनों पक्षों की भूल पर एक पक्ष के विकल्प पर अमान्य (Voidable) होता है। हालांकि, उसका उत्तर गलत माना गया।

    पीठ ने कहा,

    “हम मानते हैं कि प्रारंभ में हम सहमत थे, अनुबंध अधिनियम में कोई प्रावधान नहीं है, जिससे यह कहा जा सके कि यदि दोनों पक्ष तथ्य की भूल में हैं तो वह अनुबंध किसी एक पक्ष के विकल्प पर अमान्य होता है। धारा 20 के अनुसार, ऐसा अनुबंध अमान्य होता है न कि एक पक्ष के विकल्प पर अमान्य।”

    इसके बाद खंडपीठ ने शोभिन बाली बनाम रजिस्ट्रार जनरल, दिल्ली हाईकोर्ट मामले का हवाला दिया, जिसमें समान चुनौती को समकोण पीठ ने खारिज कर दिया था। उस फैसले में कहा गया था कि केवल इसलिए कि न्यायालय को किसी प्रश्न का कोई अन्य उत्तर अधिक उपयुक्त लगता है, चयन प्रक्रिया और परिणाम को निरस्त नहीं किया जा सकता।

    इस निर्णय का हवाला देते हुए खंडपीठ ने कहा,

    “न्यायिक अनुशासन के विचारों के कारण उक्त दृष्टिकोण अपनाने के लिए विवश होना पड़ता है। इस न्यायालय की समकोण पीठ ने परीक्षक के उत्तर को ध्यान में रखते हुए यह माना कि भले ही 'गलत' उत्तर अधिक उपयुक्त हो, यह हस्तक्षेप का मामला नहीं बनाता।”

    खंडपीठ ने यह भी उल्लेख किया कि सुप्रीम कोर्ट ने उस निर्णय की पुष्टि की थी और पक्षों को विस्तार से सुना था।

    अंत में कोर्ट ने कहा,

    “हमें याचिकाकर्ता को कोई राहत देने में असमर्थता पर खेद है।”

    इसे साथ ही कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।

    केस टाइटल: अभिन नरूला बनाम दिल्ली हाईकोर्ट रजिस्ट्रार जनरल एवं अन्य

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