ज़ी एंटरटेनमेंट बनाम शेयरचैट-मोज मामला: दिल्ली हाईकोर्ट ने क्षेत्राधिकार मान्य किया, वाद लौटाने से इनकार
Amir Ahmad
9 Dec 2025 3:33 PM IST

दिल्ली हाईकोर्ट ने ज़ी एंटरटेनमेंट द्वारा शेयरचैट और मोज प्लेटफॉर्म के खिलाफ दायर कॉपीराइट उल्लंघन वाद को लौटाने से इंकार कर दिया। अदालत ने माना है कि इस मामले की सुनवाई के लिए दिल्ली हाईकोर्ट के पास क्षेत्रीय अधिकारिता मौजूद है।
जस्टिस मिनी पुष्कर्णा ने मोहल्ला टेक प्राइवेट लिमिटेड (शेयरचैट एवं मोज की स्वामी संस्था) की उस अर्जी को खारिज कर दिया, जिसमें कथित क्षेत्राधिकार के अभाव का हवाला देते हुए वादपत्र लौटाने का अनुरोध किया गया।
यह वाद सोशल नेटवर्किंग मंच शेयरचैट और शॉर्ट-वीडियो मंच मोज के विरुद्ध दायर किया गया। इन मंचों पर उपयोगकर्ता लाइसेंस प्राप्त संगीत का उपयोग कर छोटे वीडियो और ऑडियो सामग्री तैयार कर साझा करते हैं।
ज़ी एंटरटेनमेंट ने मोहल्ला टेक के साथ 1 नवंबर 2022 से प्रभावी एक समझौता किया था जिसके तहत मोहल्ला टेक द्वारा ज़ी के दीर्घ-आकार ऑडियो-विजुअल कार्यक्रमों और म्यूज़िक वीडियो को उसके मंचों पर होस्ट, वितरित और प्रसारित किया जाना था। इस संबंध में दोनों कंपनियों के बीच विधिवत लाइसेंस समझौता भी हुआ था।
यह समझौता जुलाई-अगस्त 2023 में समाप्त हो गया। इसके बाद ज़ी एंटरटेनमेंट ने दावा किया कि उसने शेयरचैट पर 1,300 से अधिक और मोज पर 8,000 से अधिक कथित उल्लंघन पाए, जहां ज़ी की कॉपीराइट सामग्री इन-बिल्ट म्यूज़िक लाइब्रेरी के माध्यम से उपयोगकर्ताओं को उपलब्ध कराई जा रही थी।
ज़ी का आरोप है कि समझौता समाप्त होने के बावजूद दोनों मंच बिना किसी वैध लाइसेंस के उसकी कॉपीराइट सामग्री का उपयोग और वितरण जारी रखे हुए हैं।
मोहल्ला टेक ने अदालत में दलील दी कि दिल्ली उच्च न्यायालय को इस मामले की सुनवाई का अधिकार नहीं है, क्योंकि दोनों पक्षों के बीच हुए समझौतों में विवादों के लिए विशेष रूप से मुंबई की अदालतों को अधिकार क्षेत्र दिया गया था।
उनका कहना था कि समझौते से उत्पन्न या उससे जुड़े सभी विवाद जिसमें समझौता समाप्त होने के बाद की गतिविधियां भी शामिल हैं केवल मुंबई में ही सुने जा सकते हैं।
इसके अतिरिक्त यह तर्क भी दिया गया कि न तो ज़ी एंटरटेनमेंट और न ही मोहल्ला टेक का पंजीकृत कार्यालय दिल्ली में स्थित है तथा केवल ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का दिल्ली में उपलब्ध होना सिविल प्रक्रिया संहिता की धारा 20(ग) के तहत क्षेत्रीय अधिकारिता स्थापित करने के लिए पर्याप्त नहीं है।
अदालत ने इन दलीलों को अस्वीकार करते हुए कहा कि ज़ी द्वारा दायर वाद किसी पूर्व समझौते के उल्लंघन से संबंधित नहीं है, बल्कि समझौता समाप्त होने के बाद कॉपीराइट सामग्री के कथित अवैध उपयोग और शोषण से जुड़ा है।
न्यायालय ने कहा कि यह मुकदमा समझौते के उल्लंघन के लिए नहीं, बल्कि ज़ी के कॉपीराइट प्रदत्त अधिकारों के अवैध शोषण पर रोक लगाने और उससे संबंधित राहत पाने के लिए दायर किया गया।
अदालत ने अपने आदेश में स्पष्ट किया,
“प्रतिवादी द्वारा दिल्ली में बिना किसी वैध लाइसेंस के वादी की कॉपीराइट सामग्री का कथित शोषण यह दिखाने के लिए पर्याप्त है कि इस न्यायालय को कॉपीराइट उल्लंघन से जुड़े इस वाद की सुनवाई का अधिकार प्राप्त है।”
अंततः न्यायालय ने कहा कि वादपत्र तथा उसके साथ दायर दस्तावेजों से स्पष्ट है कि राहत से संबंधित कारण का एक महत्वपूर्ण भाग दिल्ली की भौगोलिक सीमा के भीतर उत्पन्न हुआ है। इस कारण वाद बनाए रखने योग्य है और दिल्ली उच्च न्यायालय के पास इस विवाद का निस्तारण करने का क्षेत्रीय अधिकार है।

