ट्रेडमार्क उल्लंघन में प्राथमिक उपयोग का बचाव तभी मान्य, जब वह वादी के उपयोग और रजिस्ट्रेशन दोनों से पहले का हो: दिल्ली हाईकोर्ट
Amir Ahmad
12 Aug 2025 12:02 PM IST

दिल्ली हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि ट्रेडमार्क उल्लंघन के मामलों में प्राथमिक उपयोग का बचाव तभी मान्य होगा, जब प्रतिवादी द्वारा विवादित चिन्ह का उपयोग वादी के चिन्ह के रजिस्ट्रेशन और उपयोग दोनों से पहले का हो।
जस्टिस सी. हरि शंकर और जस्टिस ओम प्रकाश शुक्ला की खंडपीठ ने कहा,
“केवल तभी प्रतिवादी जो उल्लंघनकर्ता है सेक्शन 34 का सहारा लेकर निषेधाज्ञा से बच सकता है, जब वह ट्रेडमार्क का उपयोग वादी के पंजीकरण और उपयोग दोनों से पहले कर रहा हो। अन्यथा केवल 'प्राथमिक उपयोग' का दावा उल्लंघन या उससे उत्पन्न होने वाली निषेधाज्ञा से बचने का आधार नहीं बन सकता।”
ट्रेडमार्क अधिनियम 1999 की धारा 34 एक बचाव प्रावधान है, जिसके अनुसार कोई भी व्यक्ति किसी रजिस्टर्ड ट्रेडमार्क के स्वामी को उस समान या समानार्थी ट्रेडमार्क के उपयोग से नहीं रोक सकता यदि उसने उस ट्रेडमार्क का उपयोग लगातार उस तारीख से किया हो, जो (a) रजिस्टर्ड स्वामी के उपयोग की तारीख या (b) रजिस्ट्रेशन की तारीख इनमें जो पहले हो से पहले की हो।
मामले के तथ्य:
1. प्रतिवादी (उत्तरदाता) ने MAYO ट्रेडमार्क को 1992 में क्लास 16 में रजिस्टर्ड कराया था।
2. उसने अपीलकर्ता पर MAYO Clinic के उपयोग को लेकर मुकदमा किया।
3. ट्रायल कोर्ट ने अपीलकर्ता को रोक दिया, जिसके खिलाफ यह अपील दायर हुई।
अपीलकर्ता ने दलील दी कि वह क्लास 16 में कोई वस्तु या सेवा MAYO नाम से नहीं दे रहा, और जहां तक 2008 में क्लास 41 में MAYO CLINIC के रजिस्ट्रेशन की बात है, वह 1995 से MAYO का उपयोग कर रहा है अर्थात 13 साल पहले से।
हाईकोर्ट ने कहा कि चूंकि प्रतिवादी के MAYO और MAYO CLINIC ट्रेडमार्क का रजिस्ट्रेशन 1992 का है और अपीलकर्ता का उपयोग 1995 का, इसलिए यह धारा 34 के तहत बचाव का मामला नहीं बनता।
अदालत ने अपील खारिज करते हुए कहा कि धारा 34 का लाभ लेने के लिए प्रतिवादी का उपयोग वादी के रजिस्ट्रेशन और उपयोग दोनों से पहले होना चाहिए न कि केवल एक से।
केस टाइटल: बोधिसत्व चैरिटेबल ट्रस्ट एवं अन्य बनाम मेयो फाउंडेशन फॉर मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च

