CBI धारा 91 CrPC के तहत संदिग्ध अपराध आय का डिमांड ड्राफ्ट नहीं मांग सकती: दिल्ली हाईकोर्ट
Amir Ahmad
17 July 2025 12:35 PM IST

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि CrPC की धारा 91 जो पुलिस को जांच के लिए वांछित 'किसी भी दस्तावेज़ या अन्य वस्तु' को प्रस्तुत करने का अधिकार देती है, उसका इस्तेमाल अपराध की आय होने का संदेह होने वाली राशि का डिमांड ड्राफ्ट मांगने के लिए नहीं किया जा सकता।
जस्टिस नीना बंसल कृष्णा ने कहा,
"अपराध की संदिग्ध आय को सुरक्षित/कुर्क करने के लिए स्थापित साधन और प्रक्रियाएं मौजूद हैं, लेकिन निश्चित रूप से अपराध की आय होने का संदेह होने वाली राशि का ड्राफ्ट तैयार करने का निर्देश, दस्तावेज़ या अन्य वस्तु की परिभाषा के अंतर्गत नहीं आएगा, जिसे CrPC की धारा 91 के तहत प्रस्तुत करने की मांग की जा सकती है।"
यह पीठ भारत में बेंटले वाहनों के अधिकृत डीलर, एक्सक्लूसिव मोटर्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा दायर याचिका पर विचार कर रही थी, जिसमें CBI के नाम 50,00,000 रुपये का डिमांड ड्राफ्ट प्रस्तुत करने के आदेश के विरुद्ध दायर याचिका पर विचार किया गया।
CBI ने आरोप लगाया कि यह राशि महाराष्ट्र स्थित फर्म से प्राप्त अपराध की आय थी।
दूसरी ओर एक्सक्लूसिव मोटर्स ने दावा किया कि यह राशि उसके द्वारा जब्त कर ली गई, क्योंकि फर्म जिसने उससे बेंटले मल्सैन कार खरीदने की मांग की थी शेष राशि का भुगतान करने में विफल रही। कंपनी ने दावा किया कि फर्म द्वारा किए गए किसी भी कथित अपराध से उसका कोई संबंध नहीं है।
किसी भी स्थिति में यह तर्क दिया गया कि डिमांड ड्राफ्ट (DD) के माध्यम से राशि की वसूली CrPC की धारा 91 के अर्थ में कोई दस्तावेज़ या अन्य वस्तु नहीं है। इसलिए इसे प्रस्तुत करने योग्य नहीं है।
CBI ने आरोप लगाया कि प्रस्तुत करने हेतु मांगा गया डीडी CrPC की धारा 91 के तहत अन्य दस्तावेज़ों के दायरे में आता है।
हाईकोर्ट ने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि डीडी स्वयं एक 'दस्तावेज़' हो सकता है लेकिन उसने कहा कि विचारणीय प्रश्न यह है कि क्या इसे CrPC की धारा 91 के तहत पारित आदेश में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया जा सकता है।
CrPC की धारा 91 इस प्रावधान को लागू करने के लिए दो शर्तें निर्धारित करती है।
यह दस्तावेज़ या वस्तु तक सीमित है और यह उसके कब्जे या शक्ति में होना चाहिए।
वर्तमान मामले में न्यायालय ने पाया कि आक्षेपित आदेश किसी ऐसे दस्तावेज़ या अन्य वस्तु से संबंधित नहीं है, जो आदेश पारित होने की तिथि पर अस्तित्व में था।
न्यायालय ने कहा,
“बल्कि उन्होंने विशेष रूप से आदेश दिया कि याचिकाकर्ता मसौदा तैयार करवाए इस प्रकार यह मानते हुए कि जब CrPC की धारा 91 के तहत पारित आदेश में इसे प्रस्तुत करने का आदेश दिया जाता है तो यह अस्तित्व में नहीं होता।”
न्यायालय ने राहुल हाई-राइज लिमिटेड एवं अन्य बनाम असम राज्य एवं अन्य (2012) मामले का हवाला दिया, जहां गुवाहाटी हाईकोर्ट ने समान तथ्यों के आधार पर यह माना था कि जहां एक पुलिस अधिकारी को जाँच के उद्देश्य से आवश्यक या वांछनीय किसी भी दस्तावेज़ या अन्य वस्तु को प्रस्तुत करने का निर्देश देने का अधिकार है। वहीं इस प्रावधान का प्रयोग बैंक खाते को जब्त करने के लिए नहीं किया जा सकता, क्योंकि इस धारा के तहत पुलिस अधिकारी को ऐसी कोई शक्ति प्रदान नहीं की गई।
आक्षेपित आदेश रद्द कर दिया गया।
केस टाइटल: एक्सक्लूसिव मोटर्स प्राइवेट लिमिटेड बनाम सीबीआई व अन्य।

