गांजा की बरामदगी कॉमर्शियल लेवल से केवल थोड़ा अधिक, NDPS Act की धारा 37 की कड़ी शर्तें लागू नहीं होतीं: दिल्ली हाईकोर्ट ने जमानत दी

Amir Ahmad

4 Aug 2025 2:29 PM IST

  • गांजा की बरामदगी कॉमर्शियल लेवल से केवल थोड़ा अधिक, NDPS Act की धारा 37 की कड़ी शर्तें लागू नहीं होतीं: दिल्ली हाईकोर्ट ने जमानत दी

    दिल्ली हाईकोर्ट ने यह माना कि अगर किसी आरोपी से बरामद मादक पदार्थ की मात्रा NDPS Act के तहत निर्धारित कॉमर्शियल लेवल से केवल थोड़ी अधिक हो, तो धारा 37 की कठोर शर्तें सख्ती से लागू नहीं होतीं।

    इस मामले में आवेदक को 21.508 किलोग्राम गांजा के साथ पकड़ा गया था। NDPS Act की धारा 37 के तहत जमानत तभी दी जा सकती है, जब आरोपी यह साबित करे कि उसके दोषी होने की कोई ठोस संभावना नहीं है और यदि उसे जमानत दी जाती है तो वह फिर से अपराध नहीं करेगा।

    जस्टिस अरुण मोंगा ने कहा,

    “आवेदक से कथित रूप से बरामद गांजा की मात्रा NDPS Act के तहत निर्धारित कॉमर्शिलय लेवल (20 किलोग्राम) से केवल थोड़ी अधिक है। ऐसे में Act की धारा 37 की कठोर शर्तों को सख्ती से लागू करना उचित नहीं होगा और मामले को अधिक सूक्ष्म दृष्टिकोण से देखा जाना चाहिए।”

    आवेदक का तर्क था कि बरामदगी की कोई वीडियोग्राफ़ी या फोटोग्राफ़ी नहीं की गई, जबकि छापेमारी करने वाली टीम के पास मोबाइल फोन और अन्य तकनीकी साधन उपलब्ध थे। उसने यह भी कहा कि घटना सार्वजनिक स्थान पर होने के बावजूद कोई स्वतंत्र गवाह नहीं है जिससे बरामदगी की सत्यता पर संदेह उत्पन्न होता है।

    राज्य की ओर से पेश APP ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि आवेदक के पास से 21.508 किलोग्राम गांजा की सचेत बरामदगी के कारण धारा 37 की शर्तें लागू होती हैं।

    हाईकोर्ट ने अशोक कुमार @ लाला बनाम राज्य सरकार एनसीटी दिल्ली (2024) मामले का हवाला दिया, जिसमें 1 किलो 100 ग्राम चरस की बरामदगी को कॉमर्शियल लेवल की सीमा से थोड़ा अधिक मानते हुए ट्रायल स्तर पर जांच के योग्य बताया गया था।

    अदालत ने कहा,

    “अभियोजन पक्ष का धारा 37 पर भरोसा ट्रायल का विषय है, लेकिन आवेदक की ओर से प्रस्तुत दलीलें जमानत न देने का पर्याप्त आधार नहीं बनातीं।”

    कोर्ट ने यह भी देखा कि आवेदक लगभग 3 वर्षों से हिरासत में है। ट्रायल की गति अत्यंत धीमी है। अब तक केवल 18 में से 3 अभियोजन गवाहों की ही गवाही हो सकी है।

    यह लंबी प्री-ट्रायल हिरासत और कार्यवाही की धीमी प्रगति, दोनों ही जमानत देने के पक्ष में योगदानकारी कारक हैं, कहते हुए अदालत ने जमानत प्रदान की।

    केस टाइटल : विनय शर्मा बनाम जीएनसीटीडी

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