दिल्ली हाईकोर्ट ने समीर वानखेड़े के मानहानि मुकदमे में नेटफ्लिक्स, रेड चिलीज़ को समन जारी किया
Amir Ahmad
8 Oct 2025 12:13 PM IST

दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को IRS अधिकारी समीर वानखेड़े द्वारा दायर मानहानि के मुकदमे में रेड चिलीज़ एंटरटेनमेंट, नेटफ्लिक्स और अन्य को समन जारी किया। यह मुकदमा आर्यन खान द्वारा निर्देशित नई नेटफ्लिक्स सीरीज़ Ba***ds of Bollywood में कथित तौर पर उनकी मानहानिकारक चित्रण को लेकर दायर किया गया।
जस्टिस पुरुषेंद्र कुमार कौरव ने अंतरिम राहत के आवेदन पर भी नोटिस जारी किया और मामले को अगली सुनवाई के लिए 30 अक्टूबर को सूचीबद्ध किया।
वानखेड़े की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट संदीप सेठी ने संशोधित याचिका का हवाला देते हुए प्रस्तुत किया कि सीरीज़ के संबंध में मेरी पत्नी और मेरी बहन को ट्रोल करने वाली पोस्ट हैं। यह स्पष्ट रूप से मानहानिकारक है और स्तब्ध करने वाला है। वे (प्रतिवादी) निश्चित रूप से उन पोस्टों का बचाव नहीं कर रहे हैं।
कोर्ट ने मौखिक रूप से कहा,
"हम सराहना करते हैं कि आपके पास इस कोर्ट का रुख करने का कारण है लेकिन एक प्रक्रिया का पालन किया जाना है।"
इसके बाद कोर्ट ने समन जारी कर दिया। नेटफ्लिक्स की ओर से सीनियर एडवोकेट राजीव नायर ने मुकदमे का विरोध करने की मांग की, जबकि रेड चिलीज़ एंटरटेनमेंट की ओर से सीनियर एडवोकेट शाइल त्रेहन पेश हुए।
वानखेड़े ने इस मुकदमे में 2 करोड़ के हर्जाने की मांग की, जिसे कैंसर रोगियों के इलाज के लिए टाटा मेमोरियल कैंसर अस्पताल को दान किया जाएगा। यह मुकदमा प्रोडक्शन हाउस और अन्य के खिलाफ़ सीरीज़ में प्रसारित किए गए कथित झूठे, दुर्भावनापूर्ण और मानहानिकारक वीडियो के विरुद्ध स्थायी और अनिवार्य निषेधाज्ञा की मांग करता है।
वानखेड़े का मामला है कि नेटफ्लिक्स सीरीज़ को जानबूझकर परिकल्पित और क्रियान्वित किया गया, जिसका उद्देश्य उनकी प्रतिष्ठा को रंगीन और पूर्वाग्रही तरीके से धूमिल करना है। खासकर तब जब उनके और आर्यन खान से जुड़ा मामला बॉम्बे हाईकोर्ट और NDPS स्पेशल कोर्ट के समक्ष लंबित और विचाराधीन है।
याचिका में यह भी आरोप लगाया गया कि सीरीज़ में एक चरित्र द्वारा सत्यमेव जयते का नारा पढ़ने के बाद अश्लील इशारा (विशेष रूप से मध्यम अंगुली दिखाना) करते हुए दिखाया गया। मुकदमे के अनुसार यह कृत्य राष्ट्रीय सम्मान के अपमान की रोकथाम अधिनियम 1971 के प्रावधानों का एक गंभीर उल्लंघन है, जिसके तहत दंडनीय परिणाम आकर्षित होते हैं।
मुकदमे में आगे तर्क दिया गया कि सीरीज़ की सामग्री सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम और भारतीय न्याय संहिता (BNS) के विभिन्न प्रावधानों का उल्लंघन करती है, क्योंकि यह अश्लील और आपत्तिजनक सामग्री के उपयोग के माध्यम से राष्ट्रीय भावना को ठेस पहुचाने का प्रयास करती है।

