दिल्ली हाईकोर्ट 14 जुलाई को तय करेगा केंद्र सरकार की आपत्ति, पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) की याचिका सुनवाई योग्य है या नहीं
Amir Ahmad
22 May 2025 11:57 AM IST

दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को कहा कि वह 14 जुलाई को यह निर्णय लेगा कि केंद्र सरकार की आपत्ति के मद्देनजर पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) द्वारा प्रतिबंध को चुनौती देने वाली याचिका सुनवाई योग्य (Maintainable) है या नहीं।
केंद्र सरकार ने यूएपीए (UAPA) के तहत PFI और उसके संबद्ध संगठनों को 'गैरकानूनी संगठन' घोषित करते हुए पांच वर्षों का प्रतिबंध लगाया था। इस प्रतिबंध की पुष्टि एक UAPA ट्रिब्यूनल ने की थी।
चीफ जस्टिस डी.के. उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने कहा कि याचिका में उठाए गए मुद्दों पर विचार जरूरी है। ASG एस.वी. राजू को अगली सुनवाई पर याचिका की सुनवाई योग्यता के विषय पर बहस करने को कहा।
कोर्ट ने कहा,
“यह मामला नियत तिथि को सुना जाएगा। ASG SV Raju ने याचिका की सुनवाई योग्य होने से संबंधित मुद्दा उठाया है। अगली सुनवाई की तारीख पर इस मुद्दे पर विचार किया जाएगा।”
PFI ने एक नई अर्जी दाखिल कर यह कहा कि याचिका अब तक 14 बार सूचीबद्ध हो चुकी है, लेकिन कोई औपचारिक नोटिस जारी नहीं हुआ।
PFI के वकील ने कहा,
“यह मामला 14 बार सूचीबद्ध हो चुका है। फिर भी कोई नोटिस नहीं जारी किया गया। जवाब दाखिल किया जाना चाहिए, नोटिस जारी किया जाना चाहिए। इस मामले में ऐसा क्या खास है?”
वहीं केंद्र सरकार की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (ASG) SV Raju ने इसका विरोध करते हुए कहा कि यह याचिका सुनवाई योग्य नहीं है, क्योंकि जिस ट्रिब्यूनल ने प्रतिबंध की पुष्टि की है, वह हाईकोर्ट के ही एक वर्तमान जज की अध्यक्षता में गठित था। उसका आदेश संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत चुनौती नहीं दी जा सकती।
ASG ने कहा,
“नोटिस सिर्फ मांगने से नहीं दिया जा सकता। उसे पहले अपने तर्क साबित करने होंगे।”
कोर्ट ने फिलहाल PFI की ताजा अर्जी पर कोई निर्णय नहीं लिया और कहा कि मामला निर्धारित तिथि पर सुना जाएगा तथा उस दिन सुनवाई की योग्यता का मुद्दा तय किया जाएगा।
PFI ने पहले सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी और उन्हें हाईकोर्ट जाने को कहा।
सितंबर, 2022 में गृह मंत्रालय ने एक अधिसूचना जारी कर PFI और उसके सहयोगी संगठनों को गैरकानूनी घोषित किया था। इसके पीछे आतंकी संगठनों से संबंध और देश विरोधी गतिविधियों में संलिप्तता का आरोप लगाया गया।
इससे पहले देशभर में दो बड़े स्तर की तलाशी, गिरफ्तारी और छापेमारी अभियान चलाए गए।
यह प्रतिबंध UAPA की धारा 3(1) के तहत तुरंत प्रभाव से पांच साल के लिए लागू किया गया था। प्रतिबंधित संगठनों में Rehab India Foundation (RIF), Campus Front of India (CFI), All India Imams Council (AIIC), NCHRO, National Women's Front, Junior Front, Empower India Foundation, और Rehab Foundation Kerala शामिल हैं।
मार्च, 2023 में UAPA ट्रिब्यूनल (न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा) ने प्रतिबंध को वैध ठहराया।
ट्रिब्यूनल की नियुक्ति अक्टूबर 2022 में की गई।
केस टाइटल: पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया बनाम भारत सरकार

