विचाराधीन कैदी को देश छोड़ने की अनुमति देते समय न्यायालय द्वारा लगाई गई शर्तों का पालन न करना हल्के में नहीं लिया जा सकता: दिल्ली हाईकोर्ट

Amir Ahmad

15 May 2025 4:59 PM IST

  • विचाराधीन कैदी को देश छोड़ने की अनुमति देते समय न्यायालय द्वारा लगाई गई शर्तों का पालन न करना हल्के में नहीं लिया जा सकता: दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट ने बलात्कार के आरोपी की सावधि जमा राशि जब्त करने के सेशन कोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार किया, क्योंकि वह हलफनामे में विदेश यात्रा के लिए अपनी यात्रा कार्यक्रम की जानकारी देने में विफल रहा, जिसे सेशन कोर्ट ने मुकदमे के लंबित रहने के दौरान अनुमति दी थी।

    जबकि याचिकाकर्ता ने दावा किया कि अप्रत्याशित परिस्थितियों के कारण उसे हलफनामा दाखिल करने से जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा ने इस चूक पर सख्त रुख अपनाया और कहा,

    “जब आपराधिक मुकदमे का सामना कर रहे व्यक्ति को देश छोड़ने की अनुमति देने वाला सशर्त आदेश पारित किया जाता है तो ऐसे आदेश का सख्ती से और पूरी तरह से पालन किया जाना चाहिए। ठहरने, यात्रा कार्यक्रम और संपर्क नंबर का विवरण प्रस्तुत करने की पूर्व शर्त महज औपचारिकता नहीं है- यह सुनिश्चित करने के लिए अभिन्न अंग है कि न्यायालय याचिकाकर्ता की आवाजाही और उपस्थिति पर प्रभावी नियंत्रण बनाए रखे और आवश्यकता पड़ने पर उसकी उपस्थिति सुनिश्चित कर सके।”

    जज ने कहा कि याचिकाकर्ता का यह आकस्मिक बहाना कि यात्रा की अत्यावश्यकता के कारण वह शर्त का पालन करना भूल गया। आदेश का पालन न करने के औचित्य के रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता।

    उन्होंने टिप्पणी की,

    "उक्त आवश्यकता विदेश यात्रा की स्वतंत्रता देने वाले आदेश की आत्मा है और किसी भी गैर-अनुपालन को चाहे वह किसी भी इरादे से किया गया हो, हल्के में नहीं लिया जा सकता। याचिकाकर्ता उस पर लगाई गई शर्तों का पालन करने में विफल रहा है, जिसके अधीन उसे विदेश यात्रा करने की अनुमति दी जा रही थी, उसे ऐसे गैर-अनुपालन से होने वाले परिणामों को भुगतना होगा।”

    याचिकाकर्ता पर वर्ष 2016 में भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 376, 328 और 506 के तहत मामला दर्ज किया गया था।

    उसने दावा किया कि जब से उसे जमानत दी गई तब से वह लगातार विदेश यात्रा कर रहा है, जिसके लिए उसे संबंधित मजिस्ट्रेट (चार्जशीट दाखिल करने से पहले) और संबंधित सेशन कोर्ट (चार्जशीट दाखिल करने के बाद) द्वारा अनुमति दी जा रही थी।

    इस बार याचिकाकर्ता ने दावा किया कि वह विदेश में रहने के दौरान अपने यात्रा कार्यक्रम और संपर्क विवरण का विवरण देने वाला आवश्यक हलफनामा दाखिल नहीं कर सका, क्योंकि विदेश यात्रा से ठीक दो दिन पहले उसके घर से उसकी कार के साइड मिरर चोरी हो गए और उसे FIR दर्ज करवाने में दो दिन लग गए।

    फिर भी याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि अपनी ईमानदारी दिखाने के लिए उसने तुरंत न्यायालय की आधिकारिक ईमेल आईडी पर यात्रा कार्यक्रम ई-मेल कर दिया। हालांकि अंतिम समय में शपथ आयुक्त की अनुपलब्धता के कारण वह इसे सत्यापित नहीं करवा सका।

    इससे असंतुष्ट होकर सेशन कोर्ट ने पाया कि याचिकाकर्ता ने विदेश यात्रा की अनुमति की शर्तों का उल्लंघन किया और इसके कारण 2 लाख रुपये की एफडीआर जब्त हो गई।

    इससे व्यथित होकर उसने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

    हाईकोर्ट का मानना ​​था कि याचिकाकर्ता को विदेश यात्रा की अनुमति दिए जाने के दौरान लगाई गई शर्तों का पालन करने की आवश्यकता के बारे में पूरी जानकारी थी और उसका पालन न करना हल्के में नहीं लिया जा सकता।

    न्यायालय ने कहा,

    "यह उसका अपना मामला है कि उसे पहले भी कई मौकों पर विदेश यात्रा की अनुमति दी गई, जो इस प्रक्रिया और निचली अदालतों द्वारा उस पर लगाई गई विशिष्ट शर्तों से उसकी परिचितता को दर्शाता है। वह इस तथ्य से स्पष्ट रूप से अवगत था कि आदेश की किसी भी शर्त का पालन न करने -विशेष रूप से अपने यात्रा कार्यक्रम, संपर्क विवरण और विदेश में पते का विवरण देने वाला हलफनामा दाखिल न करने - के परिणामस्वरूप 2 लाख रुपये की एफडीआर जब्त हो जाएगी। उसका यह स्पष्टीकरण कि वह केवल इसलिए उक्त निर्देश का पालन करने में विफल रहा क्योंकि उसके प्रस्थान से दो दिन पहले उसकी कार के साइड मिरर चोरी हो गए, इस न्यायालय के दृष्टिकोण से किसी भी तरह से योग्य नहीं है।"

    इस प्रकार, याचिका खारिज कर दी गई।

    केस टाइटल: दिनेश अनेजा बनाम राज्य सरकार के माध्यम से एन.सी.टी. दिल्ली

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