S.3(k) Patents Act| दिल्ली हाईकोर्ट ने पी2पी नेटवर्क पर 'संवेदनशील सामग्री' शेयर करने वाले यूजर्स का पता लगाने वाली प्रणाली का पेटेंट देने से किया इनकार

Amir Ahmad

15 July 2025 3:31 PM IST

  • S.3(k) Patents Act| दिल्ली हाईकोर्ट ने पी2पी नेटवर्क पर संवेदनशील सामग्री शेयर करने वाले यूजर्स का पता लगाने वाली प्रणाली का पेटेंट देने से किया इनकार

    दिल्ली हाईकोर्ट ने अमेरिका स्थित क्रोल इंफॉर्मेशन एश्योरेंस द्वारा दायर याचिका खारिज की, जिसमें पीयर टू पीयर नेटवर्क के माध्यम से यूजर्स का पता लगाने की प्रणाली को पेटेंट देने की मांग की गई थी।

    जस्टिस अमित बंसल ने पेटेंट अधिनियम, 1970 की धारा 3(क) का हवाला दिया, जो 'एल्गोरिदम' और कंप्यूटर प्रोग्राम पर से संबंधित आविष्कारों को पेटेंट योग्य नहीं मानता।

    पीठ ने टिप्पणी की,

    “किसी सॉफ़्टवेयर या कंप्यूटर प्रोग्राम को धारा 3(क) के तहत पेटेंट योग्य विषय वस्तु बनने के लिए यह केवल निर्देशों की एक श्रृंखला नहीं होनी चाहिए बल्कि इसमें हार्डवेयर के कार्य में कोई महत्वपूर्ण तकनीकी प्रभाव या प्रगति होनी चाहिए।”

    इस मामले में क्रोल ने दावा किया कि उसका आविष्कार एक ऐसी प्रणाली प्रदान करता है, जो पीयर-टू-पीयर नेटवर्क पर अनजाने में संवेदनशील जानकारी साझा कर रहे यूजर्स या ऐसी जानकारी की पहचान करने में सक्षम है और यह विशिष्ट खोज शब्दों के उपयोग से प्रोफाइलिंग करता है।

    क्रोल का कहना था कि यह आविष्कार तकनीकी प्रभाव पैदा करता है, क्योंकि यह पी2पी नेटवर्क में सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित करता है। संवेदनशील सामग्री को पहचान कर उसे हटाने या जिम्मेदार यूजर्स की गतिविधि को प्रतिबंधित करके।

    पेटेंट नियंत्रक ने यह निष्कर्ष निकाला कि यह प्रणाली धारा 3(क) के अंतर्गत अपात्र है। यह पहले से मौजूद तकनीकी जानकारी (Prior Art – D1) की तुलना में कोई नवीनता भी नहीं दर्शाती।

    क्रोल ने तर्क दिया कि D1 एक क्लाइंट-सर्वर नेटवर्क से संबंधित है, जो पीयर-टू-पीयर नेटवर्क से भिन्न है।

    लेकिन जब न्यायालय ने आविष्कार के पूर्ण विनिर्देशों (complete specification) की समीक्षा की तो यह पाया कि इसमें महज़ पीयर-टू-पीयर नेटवर्क में खोज करने की प्रणाली का वर्णन है।

    "यह खोज कार्य यूजर द्वारा दिए गए कीवर्ड के आधार पर किया जाता है, जो पारंपरिक कंप्यूटर प्रोग्राम जैसा व्यवहार है। इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि यह कंप्यूटर प्रोग्राम हार्डवेयर की कार्यक्षमता को बढ़ा रहा है। इसके अलावा आविष्कार में प्रोफाइलिंग का जो पहलू है, जिसमें विशिष्ट प्रकार के यूजर या डेटा की खोज के लिए कीवर्ड सूची का उपयोग किया गया, वह अमूर्त (abstract) प्रकृति का है और इसमें कोई तकनीकी विशेषता नहीं है।"

    न्यायालय ने Microsoft Technology Licensing बनाम Controller of Patents & Designs (2024) मामले पर भी भरोसा जताया, जिसमें यह कहा गया कि किसी सॉफ़्टवेयर आविष्कार को धारा 3(क) की रोक से बचने के लिए उसमें ऐसा तकनीकी परिवर्तन होना चाहिए, जिससे हार्डवेयर की कार्यक्षमता में महत्वपूर्ण सुधार हो।

    उपरोक्त मानदंडों के आधार पर हाईकोर्ट ने यह निष्कर्ष निकाला कि यह पेटेंट आविष्कार उक्त मानदंडों को पूरा नहीं करता। इस कारण से पेटेंट नियंत्रक के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया।

    टाइटल: Kroll Information Assurance LLC बनाम पेटेंट, डिज़ाइन्स और ट्रेडमार्क्स के नियंत्रक जनरल एवं अन्य

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