न्यूजलॉन्ड्री और रविश कुमार ने अडानी ग्रुप के खिलाफ कंटेंट हटाने के आदेश को चुनौती दी, गुरुवार को होगी सुनवाई

Amir Ahmad

22 Sept 2025 4:19 PM IST

  • न्यूजलॉन्ड्री और रविश कुमार ने अडानी ग्रुप के खिलाफ कंटेंट हटाने के आदेश को चुनौती दी, गुरुवार को होगी सुनवाई

    दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार (22 सितंबर) को डिजिटल न्यूज़ प्लेटफॉर्म न्यूजलॉन्ड्री और पत्रकार रविश कुमार द्वारा केंद्र सरकार के उस निर्देश को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई को गुरुवार (25 सितंबर) तक स्थगित कर दिया। केंद्र सरकार ने डिजिटल मीडिया प्रकाशकों से अडानी समूह के संबंध में प्रकाशित कई रिपोर्ट और वीडियो हटाने का आदेश दिया था।

    न्यूजलॉन्ड्री की ओर से सीनियर एडवोकेट सौरभ किरपाल ने जस्टिस सचिन दत्ता को बताया कि हाईकोर्ट में यह याचिका अधिकारों की सीमा पर आधारित है, जबकि मुख्य मामला अंतरिम आदेश के खिलाफ ट्रायल कोर्ट में सुनवाई के लिए अगली तारीख पर सूचीबद्ध है।

    इसी क्रम में सीनियर एडवोकेट त्रिदीप पैस ने बताया कि ट्रायल कोर्ट ने कहा कि उनकी अपील और न्यूजलॉन्ड्री की अपील अगले दिन सुबह 10 बजे प्रिंसिपल जिला डिस्ट्रिक्ट के समक्ष सूचीबद्ध की जाएगी और इसे उसी जज को सौंपा जाएगा, जिन्होंने पहले चार अन्य पत्रकारों के पक्ष में आदेश रद्द किया था।

    इससे पहले दिल्ली के रोहिणी कोर्ट के डिस्ट्रिक्ट जज आशिष अग्रवाल ने 18 सितंबर को ट्रायल कोर्ट का 6 सितंबर का एकतरफा गैग ऑर्डर रद्द किया था, जिसमें चार पत्रकारों रवि नायर, अभिर दासगुप्ता, अयस्कांत दास और आयुष जोशी के खिलाफ अडानी समूह के बारे में मानहानिकारक प्रकाशनों को रोकने का निर्देश दिया गया था।

    न्यूजलॉन्ड्री ने अपनी याचिका में बताया कि उन्हें इस नागरिक मुकदमे में पक्षकार नहीं बनाया गया और अदालत का आदेश उनके प्रकाशित कंटेंट पर लागू नहीं होता। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें इस आदेश की जानकारी केवल 16 सितंबर को सूचना और प्रसारण मंत्रालय (MIB) द्वारा प्राप्त हुई। याचिकाकर्ता ने केंद्र सरकार के इस निर्देश को प्रशासनिक अतिक्रमण और "कार्यपालिका की शक्तियों का मनमाना प्रयोग" करार दिया।

    रविश कुमार ने भी याचिका में कहा कि यह आदेश अभूतपूर्व और असंवैधानिक है, जो लोकतांत्रिक शासन प्रेस स्वतंत्रता और संविधान में निहित शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धांत पर हमला करता है। उनके अनुसार इस तरह के सरकारी हस्तक्षेप का ठंडा प्रभाव केवल व्यक्तिगत कंटेंट क्रिएटर्स तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे स्वतंत्र पत्रकारिता और सार्वजनिक विमर्श पर असर डालता है।

    याचिकाओं में यह भी मांग की गई कि पत्रकारिता पर कोई पूर्व प्रतिबंध लगाने से पहले संविधान के अनुच्छेद 19(2) के प्रावधानों का सख्ती से पालन किया जाए और केंद्र सरकार को भविष्य में ऐसे आदेश जारी करने से रोका जाए। इसके अलावा, सरकार से यह निर्देश भी मांगा गया कि किसी भी कंटेंट संबंधित प्रशासनिक कार्रवाई के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश बनाए जाएं और पत्रकारों तथा कंटेंट क्रिएटर्स की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।

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