बकाया राशि का भुगतान करने में सक्षम बनाने के लिए MCD को 738 रुपये करोड़ की मूल कर असाइनमेंट किस्त जारी करें: दिल्ली सरकार से हाइकोर्ट

Amir Ahmad

12 April 2024 7:19 AM GMT

  • बकाया राशि का भुगतान करने में सक्षम बनाने के लिए MCD को 738 रुपये करोड़ की मूल कर असाइनमेंट किस्त जारी करें: दिल्ली सरकार से हाइकोर्ट

    दिल्ली हाइकोर्ट ने हाल ही में दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि वह दिल्ली नगर निगम (MCD) को 738 करोड़ रुपये की मूल कर असाइनमेंट किस्त जारी करे, जिससे नागरिक निकाय अपने पूर्व और वर्तमान कर्मचारियों को बकाया राशि का भुगतान कर सके।

    एक्टिंग चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस मनमीत पीएस अरोड़ा की खंडपीठ ने 08 अप्रैल को पारित आदेश में दिल्ली सरकार को 10 कार्य दिवसों के भीतर राशि जारी करने का निर्देश दिया।

    MCD की ओर से पेश वकील ने अदालत को बताया कि जैसे ही राशि प्राप्त होगी, उसके सभी सेवारत और पूर्व कर्मचारियों को सातवें वेतन आयोग (CPC) के अनुसार उनके बकाया का भुगतान कर दिया जाएगा।

    अदालत को आश्वासन दिया गया कि पूर्व कर्मचारियों के सेवानिवृत्ति लाभों का भुगतान 12 सप्ताह के भीतर कर दिया जाएगा।

    वकील ने अदालत को आगे बताया कि भविष्य में मौजूदा और पूर्व कर्मचारियों को समय पर वेतन और पेंशन का भुगतान किया जाएगा।

    अदालत ने निर्देश दिया कि MCD के वकील द्वारा इस अदालत के समक्ष दिए गए उपरोक्त बयान आश्वासन और वचनबद्धता को दर्ज किया जाता है और MCD को इसके लिए बाध्य माना जाता है।

    खंडपीठ ने MCD के विभिन्न कर्मचारियों को वेतन का भुगतान न करने के मुद्दे से संबंधित कई याचिकाओं का निपटारा किया, जिनमें से कुछ 2017 में और कुछ COVID-19 के मद्देनजर दायर की गईं।

    ये याचिकाएं पहले NDMC, SDMCऔर EDMC के रूप में विभाजित MCD के विभिन्न कर्मचारियों को वेतन का भुगतान न करने के मुद्दे से संबंधित हैं।

    कुछ याचिकाएं नगर निकाय के रिटायर्ड कर्मचारियों द्वारा दायर की गईं, जिन्होंने शिकायत की है कि उनकी पेंशन जारी नहीं की जा रही है।

    अब यह मामला 23 जुलाई को अनुपालन के लिए सूचीबद्ध है।

    इससे पहले अदालत ने नगर निगम के कर्मचारियों को सातवें वेतन आयोग के बकाया राशि का भुगतान न किए जाने पर MCD को फटकार लगाई।

    पिछले साल जनवरी में अदालत ने नगर निगम के कर्मचारियों को वेतन का भुगतान न किए जाने पर दिल्ली सरकार के वित्त और शहरी विकास सचिवों और MCD आयुक्त को तलब किया था।

    अदालत ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों को समय-समय पर भुगतान किए जाने के आश्वासन के बावजूद भुगतान नहीं किया जा रहा है।

    केस टाइटल- न्यायालय अपने स्वयं के प्रस्ताव पर बनाम भारत संघ और अन्य संबंधित मामले

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