सैलरी स्लिप पेश न करने पर पत्नी को गुजारा भत्ता से किया जा सकता है इनकार: दिल्ली हाईकोर्ट

Amir Ahmad

13 Sept 2025 1:04 PM IST

  • सैलरी स्लिप पेश न करने पर पत्नी को गुजारा भत्ता से किया जा सकता है इनकार: दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि यदि कोई पत्नी अपनी आय की अपर्याप्तता या वित्तीय कठिनाई को साबित करने के लिए अपनी नवीनतम वेतन पर्ची पेश करने में विफल रहती है तो अदालत उसके खिलाफ प्रतिकूल निष्कर्ष निकाल सकती है और उसे पति से गुजारा भत्ता देने से इनकार कर सकती है।

    जस्टिस डॉ. स्वर्ण कांता शर्मा ने पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। यह याचिका पत्नी द्वारा दायर की गई, जिसे फैमिली कोर्ट ने गुजारा भत्ता देने से इनकार कर दिया।

    फैमिली कोर्ट ने पति को उनकी बेटी का भरण-पोषण करने का निर्देश दिया। हालांकि, पत्नी को गुजारा भत्ता देने से इनकार किया। अदालत ने कहा कि पत्नी ने अपनी वास्तविक आय छिपाई और अपनी हाल की वेतन पर्ची पेश करने में विफल रही। 2016 की उसकी वेतन पर्ची में उसका वेतन 33,052 रुपये था जबकि उसने दावा किया कि उसकी नवीनतम मासिक आय 10,000 रुपये है।

    हाईकोर्ट के समक्ष याचिकाकर्ता पत्नी ने तर्क दिया कि उसकी नौकरी समाप्त हो गई। वर्तमान में वह उत्तर प्रदेश सरकार में अस्थायी शिक्षिका के रूप में काम कर रही है, जिससे उसे बहुत कम वेतन मिलता है।

    दूसरी ओर, पति ने तर्क दिया कि पत्नी का आचरण ठीक नहीं है, क्योंकि उसने अपनी वास्तविक आय से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्यों को अदालत से छिपाया है।

    हाईकोर्ट ने पति के तर्क से सहमति जताते हुए कहा,

    "निचली अदालत द्वारा अवसर दिए जाने के बावजूद, कोई हालिया वेतन प्रमाण पत्र पेश नहीं किया गया। उसने नवीनतम वेतन विवरण को रोकने के लिए कोई प्रशंसनीय स्पष्टीकरण भी नहीं दिया। इसलिए फैमिली कोर्ट इस निष्कर्ष पर पहुंची कि बिना किसी ठोस स्पष्टीकरण के इस तरह की चूक उसके दावे की प्रामाणिकता पर संदेह पैदा करती है। उसके खिलाफ प्रतिकूल निष्कर्ष को सही ठहराती है।"

    कोर्ट ने बेटी को दिए जाने वाले गुजारा भत्ते की राशि को उचित ठहराया और कहा कि बच्चे का भरण-पोषण पाने का अधिकार उसके माता-पिता के विवादों से स्वतंत्र होता है।

    कोर्ट ने कहा,

    "CrPC की धारा 125 लाभकारी प्रावधान है, जो पति और पिता के नैतिक दायित्व पर आधारित है। इसका उद्देश्य पत्नी और बच्चों को गरीबी और बेघर होने की कठिनाइयों से बचाना है।"

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