पति का होम लोन और मां-बाप की ज़िम्मेदारी भी ध्यान में रखी जाए: दिल्ली हाईकोर्ट ने गुज़ारा भत्ता घटाया

Amir Ahmad

30 Aug 2025 2:56 PM IST

  • पति का होम लोन और मां-बाप की ज़िम्मेदारी भी ध्यान में रखी जाए: दिल्ली हाईकोर्ट ने गुज़ारा भत्ता घटाया

    दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को एक अहम फैसले में कहा कि पत्नी और बच्चे को गुज़ारा भत्ता तय करते समय पति की आर्थिक ज़िम्मेदारियों जैसे होम लोन की किस्त और माता-पिता की देखभाल को भी ध्यान में रखना होगा।

    जस्टिस नीना बंसल कृष्णा की बेंच ने यह टिप्पणी उस समय की जब उसने फैमिली कोर्ट द्वारा तय किए गए 25,000 प्रति माह गुज़ारा भत्ता को घटाकर 17,500 प्रति माह कर दिया।

    पति की ओर से दायर याचिका में कहा गया कि उसकी असली आय 36,000 है, जबकि फैमिली कोर्ट ने इसे गलत तरीके से 70,000 मान लिया। उसने बताया कि वह 11,000 EMI, किराया अपने व माता-पिता के खर्च मिलाकर लगभग 35,000 हर महीने खर्च करता है। साथ ही दावा किया कि पत्नी भी 15,000 से अधिक कमा रही है।

    कोर्ट ने माना कि पत्नी ने अपनी आमदनी और खर्चों का कोई स्पष्ट ब्यौरा नहीं दिया। वहीं पति ने होम लोन और परिवार की ज़िम्मेदारियों का ठोस सबूत पेश किया।

    कोर्ट ने कहा,

    “गुज़ारा भत्ता ऐसा होना चाहिए, जिससे पत्नी और बच्चे की ज़रूरतें पूरी हो सकें, लेकिन साथ ही पति के आर्थिक दायित्वों जैसे लोन और माता-पिता की ज़िम्मेदारी को भी नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।”

    इस आधार पर कोर्ट ने रकम घटाकर 17,500 प्रति माह तय कर दी।

    केस टाइटल: अंकुश कुमार पराशर बनाम सपना @ मोना एवं अन्य

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