दिल्ली हाईकोर्ट ने हिट एंड रन केस में व्यक्ति के प्रत्यर्पण के लिए कनाडा सरकार की रिक्वेस्ट पर मजिस्ट्रियल जांच को सही ठहराया
Amir Ahmad
19 Nov 2025 4:32 PM IST

दिल्ली हाईकोर्ट ने भारतीय नागरिक द्वारा दायर याचिका खारिज की, जिसमें उसने केंद्र सरकार के उस फैसले को चुनौती दी थी। इसमें कनाडा सरकार की उस रिक्वेस्ट पर मजिस्ट्रियल जांच शुरू करने का आदेश दिया गया था, जिसमें एक कथित हिट-एंड-रन मामले में पैदल चलने वाले व्यक्ति की मौत हो गई थी और उसके प्रत्यर्पण की मांग की गई थी।
जस्टिस संजीव नरूला ने कहा कि पवन मलिक ने प्रत्यर्पण अधिनियम की धारा 5 के तहत विदेश मंत्रालय द्वारा दर्ज की गई संतुष्टि में कोई कमी नहीं दिखाई।
कोर्ट ने कहा कि जो बात मायने रखती है, वह मलिक का आचरण है, कि वह एक ऐसे वाहन को चला रहा था, जो एक दुर्घटना में शामिल था, जिसमें एक पैदल चलने वाले व्यक्ति की मौत हो गई और इस बात की जानकारी या लापरवाही के साथ, बिना किसी उचित बहाने के वह रुका नहीं अपनी पहचान नहीं बताई या मदद नहीं की।
कोर्ट ने कहा,
“यह आचरण कनाडाई आपराधिक संहिता की धारा 320.16(3) के तहत दुर्घटना के बाद मौत होने पर न रुकने का अपराध बनता है। अगर भारत में ऐसा आरोप लगाया जाता है तो यही आचरण कम से कम-आईपीसी की धारा 304A के तहत लापरवाही या जल्दबाजी से मौत का कारण बनने के लिए मुकदमा चलाने का आधार बनता है, जिसमें एक साल से ज़्यादा की सज़ा हो सकती है। इसलिए संधि के अनुच्छेद 3 के तहत दोहरे अपराध की शर्त पूरी होती है।"
मलिक ने 19 अप्रैल, 2023 को केंद्र सरकार द्वारा पारित उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उसके खिलाफ मजिस्ट्रियल जांच का निर्देश दिया गया। उसने इस मामले से जुड़ी सभी कार्यवाही को रद्द करने की भी मांग की थी जिसमें ACMM कोर्ट में लंबित मामला भी शामिल है।
कनाडा सरकार मलिक को एक मोटर वाहन दुर्घटना से जुड़े अपराधों के लिए मुकदमे का सामना करने के लिए चाहती थी, जिसमें कथित तौर पर एक पैदल चलने वाली महिला कविता चौधरी की मौत हो गई थी। उस पर आपराधिक संहिता, R.S.C. 1985 की धारा 320.16(3) के तहत दुर्घटना के बाद मौत होने पर न रुकने का आरोप लगाया गया।
याचिका खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि जब प्रत्यर्पण का अनुरोध प्राप्त होता है तो भारत सरकार को पहले यह सुनिश्चित करना होगा कि संधि के अनुच्छेद 3 में दी गई शर्तें पूरी होती हैं।
कोर्ट ने कहा,
“मिनिस्ट्री रिक्वेस्ट करने वाले देश के कानून और आर्टिकल 9 के तहत रिक्वेस्ट के साथ दिए गए सपोर्टिंग मटीरियल पर विचार करती है, जिसमें तथ्यों का बयान और संबंधित प्रोविज़न का टेक्स्ट शामिल है। मिनिस्ट्री को यह पक्का करना होता है कि आरोप लगाया गया काम रिक्वेस्ट करने वाले देश में एक अपराध है और तय सज़ा एक साल से ज़्यादा है। इसके अलावा वही काम भारत में भी एक अपराध होगा जिसके लिए एक साल से ज़्यादा की सज़ा हो सकती है।”
कोर्ट ने आगे कहा कि एक बार जब ऐसी संतुष्टि दर्ज हो जाती है तो मिनिस्ट्री एक्सट्रैडिशन एक्ट की धारा 5 के तहत मजिस्ट्रेट जांच का निर्देश दे सकती है।
कोर्ट ने कहा,
“विदेश मंत्रालय द्वारा धारा 5 के तहत दर्ज की गई संतुष्टि में कोई कमी नहीं दिखाई गई। इन कारणों से कोर्ट को याचिका में कोई दम नहीं लगता। पेंडिंग एप्लीकेशन के साथ खारिज। इस कोर्ट द्वारा 25 सितंबर 2023 को पारित अंतरिम आदेश रद्द किया जाता है।”

