दिल्ली हाईकोर्ट ने ड्रग्स और हथियार वितरण जैसे अपराधों के लिए बच्चों के इस्तेमाल की प्रवृत्ति पर चिंता जताई, आरोपी को अग्रिम ज़मानत देने से किया इनकार
Amir Ahmad
14 Aug 2025 12:56 PM IST

दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार (13 अगस्त) को व्यक्ति को अग्रिम ज़मानत देने से इनकार कर दिया, जिस पर 450 क्वार्टर अवैध शराब की ढुलाई के लिए एक बच्चे का इस्तेमाल करने का आरोप है।
जस्टिस गिरीश कठपालिया ने कहा,
"पिछले कुछ समय से यह देखा जा रहा है कि अपराधी बच्चों का इस्तेमाल कई तरह के अपराधों के लिए करते हैं, जिनमें न केवल शराब और ड्रग्स की तस्करी, बल्कि हथियार/गोला-बारूद और यहां तक कि अत्यधिक हिंसा के कृत्य भी शामिल हैं जिसके कारण समाज किशोर आयु की पुनर्निर्धारण पर विचार कर रहा है।"
जज ने आगे कहा कि ऐसे अपराधों में बच्चों का शोषण अवैध शराब की तस्करी से कहीं ज़्यादा गंभीर है।
याचिकाकर्ता पर किशोर न्याय (बालकों की देखभाल एवं संरक्षण) अधिनियम की धारा 78 के तहत मामला दर्ज किया गया, जो किसी भी मादक शराब, मादक पदार्थ या मन:प्रभावी पदार्थ की बिक्री, बिक्री, परिवहन, आपूर्ति या तस्करी के लिए बच्चों के इस्तेमाल पर रोक लगाता है।
उन्होंने इस आधार पर ज़मानत मांगी कि उनके ख़िलाफ़ पहले से ही अवैध शराब की कथित बरामदगी से संबंधित एक और FIR दर्ज होने के कारण प्राथमिकी टिकने योग्य नहीं है।
अभियोजक ने स्पष्ट किया कि पहली FIR दिल्ली आबकारी अधिनियम की धारा 33 के तहत अपराध के लिए दर्ज की गई थी। जब संबंधित बच्चे (कानून से संघर्षरत किशोर) को किशोर न्याय बोर्ड के समक्ष पेश किया गया तो बोर्ड ने वर्तमान FIR दर्ज करने का निर्देश इस आधार पर दिया कि किशोर एक ही FIR में न तो आरोपी हो सकता है और न ही पीड़ित।
इसके बाद हाईकोर्ट ने कहा कि यह पता लगाना ज़रूरी है कि क्या याचिकाकर्ता आरोपी और किसी बच्चे से जुड़ी इसी तरह की कोई अन्य घटना हुई है।
अदालत ने कहा,
यह भी पता लगाना ज़रूरी है कि क्या बच्चों का इस्तेमाल करके इसी तरह की गतिविधियों में कोई व्यापक नेटवर्क शामिल है। और याचिका खारिज कर दी।
केस टाइटल: नरेंद्र बनाम राज्य

