दिल्ली हाईकोर्ट ने राज शमानी के पर्सनैलिटी राइट्स की रक्षा के लिए जॉन डो ऑर्डर पास किया

Amir Ahmad

20 Nov 2025 3:40 PM IST

  • दिल्ली हाईकोर्ट ने राज शमानी के पर्सनैलिटी राइट्स की रक्षा के लिए जॉन डो ऑर्डर पास किया

    दिल्ली हाईकोर्ट ने पॉडकास्टर राज शमानी के पर्सनैलिटी राइट्स की रक्षा के लिए एक जॉन डो ऑर्डर पास किया। कोर्ट ने कहा कि वह भारत में, खासकर कंटेंट क्रिएशन के क्षेत्र में जाना-माना चेहरा हैं।

    जस्टिस मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा ने कहा कि शमानी ने अपने सफल करियर में अच्छी पहचान और इज्जत कमाई है और पहली नज़र में उन्हें अपनी पर्सनैलिटी से जुड़े पब्लिसिटी राइट्स मिले हुए हैं, जो उनका एक कीमती अधिकार है।

    कोर्ट ने कहा,

    "पहली नज़र में वादी नंबर 1 की पर्सनैलिटी की खासियतें और/या उसके हिस्से, जिसमें वादी का नाम, शक्ल, आवाज़, इमेज शामिल हैं, वादी के पर्सनैलिटी राइट्स के रक्षा योग्य तत्व हैं। वादी नंबर 1 को बिना उनकी इजाज़त के तीसरे पक्षों द्वारा अपने कमर्शियल फायदे के लिए उनके पर्सनैलिटी राइट्स के इस्तेमाल के खिलाफ रोक लगाने का अधिकार है।"

    कोर्ट ने आगे कहा कि शमानी को मॉर्फ्ड और गलत कंटेंट से भी खुद को बचाने का अधिकार है, जो उनकी बदनामी करता है या उन्हें नीचा दिखाता है या साफ तौर पर झूठा है, क्योंकि इससे उनकी इज्जत और पहचान पर असर पड़ना तय है।

    इसके अलावा जस्टिस अरोड़ा ने कहा कि पॉडकास्ट फिगरिंग आउट विद राज शमानी में शमानी के अधिकार कॉपीराइट एक्ट, 1957 के तहत सुरक्षित हैं, जिसमें कामों को लोगों तक पहुंचाने का खास अधिकार भी शामिल है और रजिस्टर्ड ट्रेडमार्क फिगरिंग आउट के बिना इजाज़त के इस्तेमाल के खिलाफ भी सुरक्षा ज़रूरी है।

    जज ने जॉन डो (अज्ञात संस्थाओं), अलग-अलग ऑनलाइन पोर्टल्स, एक YouTube चैनल और एक कंपनी को बिना उनकी सहमति के, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस या डीपफेक टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से भी, उनके नाम, इमेज, शक्ल, आवाज़ या तस्वीरों का इस्तेमाल करने से रोकने का अंतरिम आदेश जारी किया।

    कोर्ट ने उन्हें ट्रेडमार्क फिगरिंग आउट का इस्तेमाल करने और बिना इजाज़त के शमानी के कॉपीराइट सुरक्षित कामों को उनके पॉडकास्ट और कंटेंट में शेयर करने, होस्ट करने या स्ट्रीम करने से भी रोक दिया।

    कोर्ट ने सोशल मीडिया कंपनियों को AI और डीपफेक के ज़रिए बनाए गए गलत कंटेंट को ब्लॉक करने या हटाने का भी निर्देश दिया।

    इस मामले की अगली सुनवाई 24 अप्रैल, 2026 को होगी।

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