राष्ट्रीय आरोग्य निधि के तहत वित्तीय सहायता का दावा करने के लिए आय सीमा प्रथम दृष्टया अनुचित: दिल्ली हाइकोर्ट
Amir Ahmad
25 April 2024 12:35 PM IST
स्वतः संज्ञान लेते हुए दिल्ली हाइकोर्ट ने हाल ही में पाया कि प्रथम दृष्टया केंद्र सरकार की राष्ट्रीय आरोग्य निधि (RAN) अम्ब्रेला योजना के तहत लाभ का दावा करने के लिए आय सीमा उचित नहीं है।
यह योजना राज्य या केंद्र शासित प्रदेश की गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले और हृदय, किडनी आदि से संबंधित जानलेवा बीमारियों से पीड़ित गरीब मरीजों को सरकारी अस्पतालों में उनके इलाज के लिए एकमुश्त वित्तीय सहायता प्रदान करती है।
एक्टिंग चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस मनमीत प्रीतम सिंह की खंडपीठ ने कहा कि दिल्ली के निवासियों के लाभ के लिए योजना के तहत आय सीमा 1571 रुपये (ग्रामीण के लिए) और और 1605 (शहरी क्षेत्रों के लिए) रुपये रखी है।
न्यायालय ने कहा,
"यह न्यायालय प्रथम दृष्टया इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि RAN योजना के तहत पात्रता मानदंड उचित नहीं है।”
पीठ ने पिछले साल सितंबर में सुरेश कुमार राघव नामक व्यक्ति से प्राप्त पत्र के अनुसरण में हाइकोर्ट की जनहित याचिका समिति की सिफारिश पर सुओ मोटो से जनहित याचिका दर्ज की।
व्यक्ति ने RAN योजना के तहत अपने किडनी प्रत्यारोपण उपचार के लिए 9,81,620 रुपये का अनुदान मांगा।
पत्र में कहा गया कि वह व्यक्ति क्रोनिक किडनी रोग (सीकेडी-5) का रोगी था, जिसे पहले अक्टूबर 2018 में RAN योजना के तहत किडनी प्रत्यारोपण के लिए केंद्र सरकार से 6,45,000 रुपये की सहायता मिली थी।
अस्पताल ने व्यक्ति को सूचित किया कि RAN के तहत सहायता केवल एक बार दी गई और वह योजना के तहत निर्दिष्ट पात्रता मानदंडों को पूरा नहीं करता।
पीठ ने पाया कि व्यक्ति की आय प्रमाण पत्र के अनुसार उसकी वार्षिक आय 96,000 रुपये थी, जो वार्षिक आधार पर सीमा से काफी अधिक थी।
न्यायालय ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) दिल्ली सरकार तथा राघव के माध्यम से भारत संघ को नोटिस जारी किया।
अदालत वकील अंकित जैन को मामले में एमिक्स क्यूरी नियुक्त किया तथा रजिस्ट्री को उन्हें पेपर बुक उपलब्ध कराने का निर्देश दिया।
अब मामले की सुनवाई 04 जुलाई को होगी।
केस टाइटल- न्यायालय अपने स्वयं के प्रस्ताव पर बनाम भारत संघ और अन्य