दिल्ली हाईकोर्ट का एयर इंडिया यात्री पर सख्त रुख, आक्रामक व्यवहार के आरोप में नए सिरे से आरोप तय करने का आदेश
Amir Ahmad
12 Sept 2025 3:40 PM IST

दिल्ली हाईकोर्ट ने एयर इंडिया की उड़ान में आक्रामक और अभद्र व्यवहार के आरोपी एक व्यक्ति के खिलाफ नए सिरे से आरोप तय करने का आदेश दिया। आरोपी पर चालक दल को धमकाने और उड़ान के दौरान विमान का दरवाजा खोलने की कोशिश करने का भी आरोप है।
जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा ने आरोपी हार्वे मान की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया। मान ने अपने खिलाफ तय किए गए आरोपों को चुनौती दी। कोर्ट ने पाया कि अभियोजन पक्ष ने जिन तीन लोगों को गवाह के रूप में नामित किया, उनके बयान दर्ज ही नहीं किए गए।
कोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट को पूरक आरोप पत्र दाखिल होने तक आरोप तय करने पर विचार टाल देना चाहिए, क्योंकि गवाहों के बयान अभियोजन के मामले के लिए महत्वपूर्ण हो सकते हैं।
मामले के अनुसार सितंबर, 2022 में एयर इंडिया की उड़ान के मुख्य केबिन क्रू ने मान के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत में कहा गया कि मान ने अपनी निर्धारित सीट पर बैठने से इनकार किया और उड़ान भरने के बाद गुस्से में तीन बार विमान का दरवाजा खोलने की कोशिश की।
आरोप है कि मान ने चालक दल के सदस्यों के साथ लगातार दुर्व्यवहार किया, उन्हें धमकाया और यह दावा किया कि वह शहादत" के लिए तैयार है और सभी को अपने साथ ले जाएगा। उस पर एयरलाइन की संपत्ति, जैसे पीटीवी, रिमोट और आर्मरेस्ट को नुकसान पहुंचाने का भी आरोप है।
एयरलाइन के एसओपी के अनुसार मान को पहले मौखिक चेतावनी दी गई, जिसके बाद पायलट-इन-कमांड द्वारा एक लिखित चेतावनी पत्र जारी किया गया। जब उसने सहयोग नहीं किया, तो इस घटना की सूचना नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) को दी गई। इसके बाद उसे नो-फ्लाई लिस्ट में शामिल कर लिया गया और उसके खिलाफ FIR दर्ज की गई।
कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि जब ट्रायल कोर्ट ने आरोप तय करने का आदेश दिया तब तक जांच अधिकारी (IO) ने गवाहों के बयानों को शामिल करते हुए कोई पूरक आरोप पत्र दायर नहीं किया। कोर्ट ने यह भी नोट किया कि मुख्य आरोप पत्र दाखिल होने के बाद से लगभग तीन साल बीत चुके हैं। फिर भी कोई पूरक रिपोर्ट नहीं दी गई।
हाईकोर्ट ने इस मामले को वापस ट्रायल कोर्ट को भेज दिया और जांच अधिकारी को यह स्पष्ट करने के लिए कहा कि ढाई साल से अधिक समय बीतने के बाद भी पूरक आरोप पत्र क्यों नहीं दायर किया गया।
कोर्ट ने कहा,
"यदि अभियोजन पक्ष कोई पूरक सामग्री प्रस्तुत करता है तो ट्रायल कोर्ट को उस अतिरिक्त साक्ष्य पर विचार करने के बाद नए सिरे से आरोप तय करने का आदेश पारित करना चाहिए।"

