हर लेन-देन से मेल खाना जरूरी नहीं, कुल विदेशी मुद्रा लाभ साबित हो तो सामूहिक FIRC पर्याप्त: दिल्ली हाईकोर्ट
Amir Ahmad
4 Oct 2025 1:42 PM IST

दिल्ली हाईकोर्ट ने यह महत्वपूर्ण निर्णय दिया कि विदेशी आय प्रमाणपत्र (Foreign Inward Remittance Certificate - FIRC) को हर निर्यात लेन-देन से मेल खाना जरूरी नहीं है। यदि किसी निर्यातक द्वारा समग्र रूप से प्राप्त विदेशी मुद्रा का लाभ पूरी तरह सिद्ध किया जा सके, तो एक निर्धारित अवधि का FIRC भी मान्य होगा।
FIRC बैंक द्वारा जारी किया जाने वाला प्रमाणपत्र होता है, जो विदेशों से प्राप्त भुगतान का साक्ष्य प्रदान करता है।
जस्टिस प्रतिभा एम. सिंह और जस्टिस शैल जैन की खंडपीठ ने कहा,
“FIRC को हर लेन-देन से मिलाना आवश्यक नहीं है। यह एक निश्चित अवधि के आधार पर भी जारी किया जा सकता है, बशर्ते कि जिस लाभ का दावा किया जा रहा है, वह पूरी तरह उस विदेशी मुद्रा से समर्थित हो जो वास्तव में संबंधित पक्ष को प्राप्त हुई।”
यह फैसला एक आयुर्वेदिक कॉस्मेटिक उत्पादों के निर्यातक की याचिका पर आया, जिसमें उसने GST विभाग द्वारा लगाए गए 20.14 करोड़ के टैक्स, ब्याज और समान राशि के जुर्माने की मांग को चुनौती दी थी।
विभाग का आरोप था कि याचिकाकर्ता के बैंक खातों में विदेशी शाखा से एकमुश्त रकम भारतीय रुपये में जमा की गई, जो चालान-वार माह-वार या वर्ष-वार निर्यात मात्रा से मेल नहीं खाती। विभाग ने कहा कि याचिकाकर्ता विदेशी मुद्रा प्राप्ति का कोई ठोस प्रमाण जैसे बैंक रियलाइजेशन सर्टिफिकेट (BRC) या FIRC प्रस्तुत नहीं कर सका।
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि विभाग की आपत्ति केवल इस आधार पर है कि चालान और FIRC की संख्या अधिक है और उन्हें एक-एक कर मिलाना व्यावहारिक नहीं है।
इन परिस्थितियों को देखते हुए न्यायालय ने माना कि मामले का पुनर्विचार आवश्यक है।
अदालत ने कहा,
“31 जनवरी, 2025 का आदेश निरस्त किया जाता है। याचिकाकर्ता को अब निर्णय प्राधिकारी के समक्ष उपस्थित होना होगा और उसे व्यक्तिगत सुनवाई के लिए नया नोटिस जारी किया जाएगा।”
इस प्रकार, अदालत ने विभाग का आदेश रद्द करते हुए मामले को पुनः सुनवाई के लिए भेज दिया।

