दिल्ली हाइकोर्ट ने सेंट्रल रिज में पेड़ों की कटाई पर रोक लगाई, कचरा हटाने का आदेश दिया

Amir Ahmad

13 May 2024 6:37 AM GMT

  • दिल्ली हाइकोर्ट ने सेंट्रल रिज में पेड़ों की कटाई पर रोक लगाई, कचरा हटाने का आदेश दिया

    दिल्ली हाइकोर्ट ने निर्देश दिया कि न्यायालय की अनुमति के बिना राष्ट्रीय राजधानी में सेंट्रल रिज में पेड़ों की कटाई या झाड़ियों को हटाने का काम नहीं किया जाएगा।

    न्यायालय ने वन विभाग और अन्य स्थानीय अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया कि सेंट्रल रिज में कचरा या कोई अन्य अपशिष्ट पदार्थ न डाला जाए।

    जस्टिस मिनी पुष्करणा ने कहा,

    "संबंधित अधिकारियों को तत्काल कार्रवाई करने और सेंट्रल रिज से सभी कचरे और अपशिष्ट पदार्थों को हटाने का निर्देश दिया जाता है।"

    सेंट्रल रिज जो 864 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में फैला हुआ है, दिल्ली में उत्तरी अरावली तेंदुआ वन्यजीव गलियारे में स्थित है। वर्ष 1914 में इसे आरक्षित वन बना दिया गया था। यह सदर बाजार के दक्षिण से धौला कुआं तक फैला हुआ है। मालचा महल सेंट्रल रिज के अंदर स्थित एक तुगलक युग का शिकारगाह है।

    कोर्ट ने कहा कि वन अधिकारियों द्वारा दिए गए वचन के बावजूद सेंट्रल रिज में बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई और वन भूमि को साफ किया जा रहा है।

    तस्वीरों को देखते हुए कोर्ट ने कहा कि सेंट्रल रिज में क्षेत्र को जलाया गया, जिसके कारण न केवल पेड़ बल्कि झाड़ियाँ भी नष्ट हो गई हैं जिससे केवल खाली जमीन बची है।

    कोर्ट ने कहा,

    "तस्वीरों में सेंट्रल रिज में बड़े पैमाने पर कचरा डंपिंग भी दिखाई दे रही है। यह बहुत गंभीर स्थिति है।"

    इसने कहा कि सेंट्रल रिज को पेड़ों की कटाई और झाड़ियों को हटाने से खराब होने की अनुमति नहीं दी जा सकती, जबकि शहर पहले से ही बढ़ते प्रदूषण के स्तर के दबाव वाले मुद्दे से जूझ रहा है, जो खतरनाक अनुपात तक पहुंच गया।

    जस्टिस पुष्करणा ने यह भी कहा कि सेंट्रल रिज "जो हमारी हरी विरासत है" का उपयोग कचरे और अन्य अपशिष्ट पदार्थों के डंपिंग ग्राउंड के रूप में किया जा रहा है।

    यह देखते हुए कि सेंट्रल रिज न केवल दिल्ली में बहुमूल्य हरित आवरण प्रदान करता है, बल्कि पर्यावरण संतुलन बनाए रखने के लिए भी मूल्यवान है।

    अदालत ने आदेश दिया,

    “सेंट्रल रिज में बहुमूल्य हरित आवरण को बनाए रखने में उपरोक्त गंभीर चूक को देखते हुए वन विभाग को यह स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने का निर्देश दिया जाता है कि कैसे और किस तरीके से सेंट्रल रिज में पेड़ों की कटाई और कचरा तथा अन्य अपशिष्ट पदार्थों को डंप करने की अनुमति दी गई।”

    अदालत अवमानना ​​याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें एमिक्स क्यूरी वकीलगौतम नारायण और आदित्य एन प्रसाद ने संक्षिप्त नोट दायर किया। इसमें उन मामलों से संबंधित कुछ मुद्दे उठाए गए, जिनमें राष्ट्रीय राजधानी में पेड़ लगाने के लिए पक्षों को निर्देश दिए गए।

    मामले की सुनवाई अब 24 मई को होगी।

    केस टाइटल: अंजली कॉलेज ऑफ फार्मेसी एंड साइंस इसके संस्थापक-सह-अध्यक्ष देवेंद्र गुप्ता के माध्यम से बनाम डॉ. मोंटू एम. पटेल, अध्यक्ष फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया और अन्य।

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