DRAT में रिक्तियों से अपील का अधिकार नहीं हो सकता निष्प्रभावी: दिल्ली हाईकोर्ट

Amir Ahmad

24 Dec 2025 12:16 PM IST

  • DRAT में रिक्तियों से अपील का अधिकार नहीं हो सकता निष्प्रभावी: दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा कि ऋण वसूली कानून के तहत उपलब्ध वैधानिक अपीलीय उपाय को केवल इस आधार पर निष्प्रभावी नहीं बनाया जा सकता कि संबंधित ऋण वसूली अपीलीय न्यायाधिकरण (DRAT) में रिक्तियां हैं या प्रशासनिक व प्रक्रियागत बाधाएं मौजूद हैं।

    जस्टिस अनिल क्षेतरपाल और जस्टिस हरीश वैद्यनाथन शंकर की खंडपीठ ने दो नीलामी खरीदारों की याचिका पर सुनवाई करते हुए स्पष्ट किया कि सामान्यतः जब कोई वैकल्पिक वैधानिक अपील उपलब्ध होती है तो हाईकोर्ट रिट क्षेत्राधिकार का प्रयोग नहीं करता लेकिन यह सिद्धांत तब लागू नहीं हो सकता, जब वह अपीलीय उपाय व्यवहार में अर्थहीन हो जाए।

    अदालत ने कहा कि इस मामले में अपील की सुनवाई न हो पाने का कारण याचिकाकर्ताओं की कोई चूक नहीं बल्कि पूरी तरह से प्रणालीगत बाधाएं हैं।

    अदालत ने टिप्पणी की,

    “किसी भी वादी को ऐसी स्थिति में नहीं डाला जा सकता, जहां उसका वैधानिक अपील का अधिकार प्रक्रियागत या प्रशासनिक कारणों से केवल कागज़ी बनकर रह जाए। यदि वैधानिक उपाय व्यवहार में अप्रभावी हो जाता है तो न्याय तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए इस न्यायालय का हस्तक्षेप उचित है।”

    मामले की पृष्ठभूमि में बैंक ऑफ इंडिया द्वारा ऋण वसूली और दिवाला अधिनियम के तहत डिफॉल्टर उधारकर्ताओं के खिलाफ कार्यवाही शुरू की गई थी।

    अगस्त 2017 में रिकवरी सर्टिफिकेट जारी किया गया। इसके बाद निष्पादन कार्यवाही के दौरान फरवरी, 2020 में उधारकर्ताओं की दो अचल संपत्तियों की नीलामी हुई एक मुंबई में और दूसरी चेन्नई में।

    मुंबई की संपत्ति को ट्रूवैल्यू मार्केटिंग सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड ने खरीदा जबकि चेन्नई की संपत्ति दूसरे याचिकाकर्ता ने। अप्रैल 2025 में डीआरटी-II दिल्ली के पीठासीन अधिकारी ने क्षेत्राधिकार को लेकर उधारकर्ताओं की आपत्तियों को स्वीकार करते हुए निष्पादन कार्यवाही को मुंबई और चेन्नई के DRT में स्थानांतरित करने का आदेश दिया।

    नीलामी खरीदारों ने इस आदेश को चुनौती दी।

    हालांकि कानून के तहत ऐसे आदेश के खिलाफ DRAT में अपील का प्रावधान है, लेकिन उनकी अपील कई महीनों तक सुनी नहीं जा सकी। इसका कारण DRAT दिल्ली के चेयरपर्सन का मामले से अलग होना DRAT मुंबई में रिक्तियां रजिस्ट्रियों द्वारा क्षेत्राधिकार पर आपत्तियां और प्रशासनिक प्रभार में बदलाव जैसे कारण रहे।

    हाईकोर्ट के समक्ष याचिकाकर्ताओं ने दलील दी कि क्षेत्राधिकार से संबंधित आपत्तियां बहुत देर से उठाई गईं और उनका उद्देश्य केवल वसूली प्रक्रिया में देरी करना है, जिससे प्रामाणिक नीलामी खरीदारों को गंभीर नुकसान हुआ है।

    वहीं बैंक का तर्क था कि अचल संपत्तियों से संबंधित निष्पादन कार्यवाही उसी क्षेत्र के न्यायाधिकरण द्वारा की जानी चाहिए जहां संपत्ति स्थित है।

    हालांकि अदालत ने इन तर्कों के गुण-दोष पर विचार नहीं किया लेकिन यह स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ताओं ने बार-बार अपील दाखिल करने का प्रयास किया और उनकी विफलता उनके नियंत्रण से बाहर कारणों से हुई।

    अंततः दिल्ली हाईकोर्ट ने निर्देश दिया कि अप्रैल 2025 के स्थानांतरण आदेश के खिलाफ याचिकाकर्ताओं की अपील को उपयुक्त ऋण वसूली अपीलीय न्यायाधिकरण द्वारा सात दिनों के भीतर स्वीकार कर सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाए। मामले के सभी तथ्यों और कानूनी प्रश्नों को अपीलीय मंच के लिए खुला रखा गया।

    Next Story