DPS द्वारका के स्टूडेंट को पढ़ाई जारी रखने की अनुमति, माता-पिता को बढ़ी हुई फीस का 50% जमा करना होगा: दिल्ली हाईकोर्ट
Amir Ahmad
30 May 2025 11:59 AM IST

दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली पब्लिक स्कूल (DPS) द्वारका के उन स्टूडेंट्स को पढ़ाई जारी रखने की अनुमति दी, जिनके नाम स्कूल की रोल से हटा दिए गए थे, बशर्ते उनके माता-पिता शैक्षणिक सत्र 2024-25 से आरंभ होने वाली बढ़ी हुई फीस का 50% जमा करें।
जस्टिस विकास माहाजन ने यह अंतरिम आदेश 100 से अधिक अभिभावकों द्वारा स्कूल फीस वृद्धि और उनके बच्चों के नाम काटे जाने के मुद्दे पर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया।
अदालत ने अवलोकन किया कि कानून स्कूल को यह अनुमति देता है कि वह अनुमानित खर्चों के आधार पर फीस तय कर सकता है, भले ही इसके लिए दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय (DoE) की पूर्व स्वीकृति आवश्यक न हो। हालांकि स्कूल द्वारा प्रत्येक सत्र की शुरुआत में प्रस्तुत की गई फीस संरचना शिक्षा निदेशालय के निर्णय के अधीन रहती है।
कोर्ट ने कहा कि शिक्षा निदेशालय को यह जांचने का अधिकार है कि क्या फीस निर्धारण तर्कहीन या मनमाना है, जिससे मुनाफाखोरी या व्यवसायीकरण का संकेत मिलता है। यदि ऐसा पाया जाता है तो वह फीस वृद्धि को खारिज करते हुए उचित आदेश जारी कर सकता है।
न्यायालय ने यह भी दर्ज किया कि सत्र 2023-24 के लिए DPS द्वारका द्वारा की गई फीस वृद्धि को पहले ही शिक्षा निदेशालय द्वारा अस्वीकृत किया जा चुका है। यद्यपि स्कूल ने उस आदेश को चुनौती दी है उस पर कोई स्थगन आदेश नहीं मिला है।
अभिभावकों ने अंतरिम राहत के रूप में सत्र 2025-26 सहित आगामी वर्षों के लिए राहत की मांग की थी।
कोर्ट ने कहा कि जब तक शिक्षा निदेशालय स्कूल के वित्तीय विवरणों की समीक्षा कर यह नहीं पाता कि फीस वृद्धि मुनाफाखोरी या शिक्षा का व्यवसायीकरण है। उसे खारिज नहीं करता तब तक कानून स्कूल को फीस बढ़ाने से नहीं रोकता।
अदालत ने कहा,
“इस स्थिति में DPS द्वारका में पढ़ रहे स्टूडेंट्स के माता-पिता को सत्र 2024-25 से आगे के लिए स्कूल द्वारा प्रस्तुत फीस संरचना के अनुसार फीस का भुगतान करना होगा, जब तक कि शिक्षा निदेशालय इस पर निर्णय न ले ले और यह भी वर्तमान याचिका के अंतिम निर्णय के अधीन होगा।”
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि 50% की छूट केवल बढ़ी हुई फीस के हिस्से पर दी जा रही है, जबकि मूल (बेस) फीस पूर्ण रूप से देनी होगी। साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि बदले हुए हालातों में पक्षकार इस आदेश में संशोधन या परिवर्तन की मांग कर सकते हैं।
यह याचिका अभिभावकों द्वारा दायर की गई, जिसमें उपराज्यपाल (LG) से स्कूल का कार्यभार संभालने की मांग की गई। एक तत्काल आवेदन के माध्यम से यह निर्देश मांगा गया कि शिक्षा निदेशालय सुनिश्चित करे कि स्कूल सत्र 2025-26 और आगे के लिए केवल स्वीकृत फीस ही वसूल करे।
जहां अदालत ने इस आवेदन पर अंतरिम आदेश दिया। वहीं मुख्य रिट याचिका पर नोटिस जारी कर दिया। अब अगली सुनवाई 28 अगस्त को होगी।
इसी मामले से जुड़े एक अन्य घटनाक्रम में 32 स्टूडेंट के अभिभावकों द्वारा फीस न देने पर निष्कासित किए जाने को लेकर दायर याचिका पर समवर्ती पीठ ने फैसला सुरक्षित रख लिया।
केस टाइटल: दिव्या मट्टे और अन्य बनाम एल.जी. जीएनसीटीडी और अन्य