दिल्ली हाईकोर्ट ने BSF DIG को दिव्यांगता मुआवजा न देने पर केंद्र को लगाई फटकार

Amir Ahmad

17 Sept 2025 4:47 PM IST

  • दिल्ली हाईकोर्ट ने BSF DIG को दिव्यांगता मुआवजा न देने पर केंद्र को लगाई फटकार

    दिल्ली हाईकोर्ट ने एक व्यक्ति को दिव्यांगता मुआवजा देने का आदेश दिया, जो सीमा सुरक्षा बल (BSF) से उप महानिरीक्षक (DIG) के पद से रिटायर हुए थे। यह मुआवजा उन्हें 2001 में जम्मू-कश्मीर में हुए आईईडी विस्फोट में 42% सुनने की क्षमता खोने के लिए दिया गया।

    जस्टिस सी हरि शंकर और जस्टिस ओम प्रकाश शुक्ला की खंडपीठ ने अधिकारियों से सवाल किया कि उन्होंने अश्विनी कुमार शर्मा को दिव्यांगता मुआवजा क्यों नहीं दिया, जबकि उन्होंने बार-बार इस बारे में अधिकारियों से संपर्क किया था।

    कोर्ट की सख्त टिप्पणी

    कोर्ट ने कहा,

    "याचिकाकर्ता से यह उम्मीद नहीं की जा सकती कि वह अपनी बकाया राशि मांगने के लिए अधिकारियों के पास कटोरा लेकर जाए। यह तो अधिकारियों का कर्तव्य था कि उन्हें 2001 में लगी चोट के कारण हुई दिव्यांगता का पता चलने पर उनका बकाया जारी करते।"

    कोर्ट ने कहा कि शर्मा सेंट्रल सिविल सर्विसेज (एक्स्ट्राऑर्डिनरी पेंशन) रूल्स, 1939 के नियम 9(3) के तहत विकलांगता मुआवजे के हकदार हैं।

    अदालत ने अधिकारियों को आदेश दिया कि वे 27 सितंबर, 2017 को जारी उपयुक्तता प्रमाण पत्र की तारीख से 9% प्रति वर्ष की ब्याज दर के साथ मुआवजा जारी करें। कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर ब्याज नहीं दिया गया होता तो वह इस मामले में दंडात्मक लागत भी लगाता।

    मामले की पृष्ठभूमि

    शर्मा ने दिसंबर, 2022 मे दिव्यांगता मुआवजे के अपने दावे को खारिज करने वाले आदेश को चुनौती दी थी। उन्होंने यह दावा 2017 में तब किया, जब एक मेडिकल बोर्ड ने उन्हें 42% दिव्यांगता के साथ हल्के से मध्यम द्विपक्षीय सुनवाई हानि (Mild to Moderate Bilateral Hearing Loss) से पीड़ित पाया था।

    कोर्ट ने अधिकारियों द्वारा शर्मा के दावे से निपटने के तरीके पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा,

    "हम यह अनुमान नहीं लगाना चाहते कि एक युद्ध-योद्धा को जिसने 2001 में युद्ध के मोर्चे पर चोट लगने के कारण 42% सुनने की क्षमता खो दी थी, आज तक यानी 24 साल बाद भी अपने हक का इंतजार क्यों करना पड़ा।"

    कोर्ट ने कहा कि अधिकारी अब भी यह मानने को तैयार नहीं है कि शर्मा मुआवजे के हकदार हैं। अधिकारियों ने कोर्ट को बताया कि शर्मा 2001 और 2017 के बीच 16 साल तक मेडिकल रूप से फिट थे।

    न्यायालय ने कहा,

    "इस बात पर कोई विवाद नहीं हो सकता कि याचिकाकर्ता को 2001 के बाद 17 साल तक सेवा में रखा गया और 2017 में मेडिकल बोर्ड के फैसले के बाद 2018 में रिटायर होने तक भी। यही कारण है कि दिव्यांगता मुआवजे के लिए उनके दावे की वास्तव में उच्चतम अधिकारियों द्वारा सिफारिश की गई।"

    Next Story