अजमेर शरीफ़ दरगाह पर कार्रवाई से पहले सुनवाई अनिवार्य: दिल्ली हाईकोर्ट
Amir Ahmad
9 Dec 2025 1:00 PM IST

दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि अजमेर स्थित ख्वाजा साहब दरगाह परिसर के भीतर और उससे जुड़े क्षेत्रों में किसी भी ढांचे को हटाने या ध्वस्त करने से पहले प्रभावित पक्षों को अनिवार्य रूप से सुनवाई का अवसर दिया जाए।
न्यायालय ने स्पष्ट किया कि बिना प्रक्रिया का पालन किए सीधे कार्रवाई करना प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के विरुद्ध होगा।
जस्टिस सचिन दत्ता ने कहा कि 22 नवंबर को जारी हटाने के नोटिस के आधार पर कोई भी त्वरित या एकतरफा कदम उठाने से पहले संबंधित प्रत्येक व्यक्ति को अलग-अलग कारण बताओ नोटिस जारी किया जाए, उन्हें सुनवाई का अवसर प्रदान किया जाए और उसके बाद ही एक स्पष्ट व तर्कसंगत आदेश पारित किया जाए।
यह आदेश सैयद मेराज मियां द्वारा दायर याचिका पर पारित किया गया। याचिकाकर्ता ने अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय द्वारा जारी उस नोटिस को चुनौती दी थी, जिसमें दरगाह परिसर में कथित अनधिकृत एवं अवैध अतिक्रमण जैसे अलमारियां, बक्से, रैक, दुकानें, कालीन और झंडे 27 नवंबर तक हटाने का निर्देश दिया गया।
सुनवाई के दौरान न्यायालय ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि संबंधित नोटिस अत्यंत अस्पष्ट है और बिना प्रभावित लोगों को सुने सीधे विध्वंस जैसी कार्रवाई नहीं की जा सकती।
न्यायालय ने कहा कि अधिकारियों के लिए यह संभव नहीं है कि वे बिना विस्तृत नोटिस और सुनवाई के केवल बुलडोजर चला दें।
याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि दरगाह में विभिन्न सेवाओं और कार्यों से जुड़े अनेक व्यक्तियों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करते हुए प्रशासन द्वारा एकतरफा कदम उठाए जा रहे हैं।
यह भी तर्क दिया गया कि पूरी कार्रवाई प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों की अवहेलना करते हुए बिना किसी पूर्व सुनवाई के शुरू की गई।
हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को दरगाह ख्वाजा साहब अधिनियम 1955 के अंतर्गत गठित की जाने वाली दरगाह समिति के शीघ्र गठन का भी निर्देश दिया।
न्यायालय ने कहा कि समिति के गठन में हो रही देरी ही वर्तमान अव्यवस्था की एक बड़ी वजह है और इसे यथाशीघ्र पूरा किया जाना आवश्यक है।
अदालत ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि 22 नवंबर के नोटिस के आधार पर किसी भी प्रकार की कार्रवाई से पहले प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का कड़ाई से पालन किया जाए तथा प्रत्येक प्रभावित पक्ष को कारण बताओ नोटिस, सुनवाई का अवसर और उसके उपरांत कारणयुक्त आदेश दिया जाए।
इस मामले की अगली सुनवाई 23 फरवरी को निर्धारित की गई।

