दिल्ली हाईकोर्ट ने डीयू के LLM स्टूडेंट पर लगे प्रैक्टिस रोक नियम पर मांगा जवाब, BCI को भी नोटिस
Amir Ahmad
19 Aug 2025 2:19 PM IST

दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली यूनिवर्सिटी (DU) के उस नियम को चुनौती देने वाली याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें कहा गया कि दो वर्षीय LLM कार्यक्रम केवल उन्हीं स्टूडेंट्स के लिए उपलब्ध होगा, जो किसी भी तरह के रोजगार, व्यापार, पेशा या व्यवसाय में संलग्न न हों।
जस्टिस विकास महाजन ने इस मामले में यूनिवर्सिटी और बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) से जवाब मांगा और सुनवाई की अगली तारीख 25 सितंबर तय की।
यह याचिका 32 स्टूडेंट्स की ओर से दायर की गई, जो 2024–2026 सेशन में फैकल्टी ऑफ लॉ से LLM कर रहे हैं। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि DU का यह नियम मनमाना, असंवैधानिक और विधि-विरुद्ध है।
याचिका में कहा गया,
“DU ने अधिसूचना के आधार पर यह शर्त लगाई कि LLM (दो वर्षीय कोर्स) के स्टूडेंट को शपथपत्र देंगे कि वे पढ़ाई के दौरान वकालत नहीं करेंगे। पहले से वकील के रूप में नामांकित याचिकाकर्ताओं के अनुसार यह शर्त अनुच्छेद 14, 19(1)(g) और 21 में प्रदत्त मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।”
स्टूडेंट्स ने यह भी दलील दी है कि देश के अन्य यूनिवर्सिटी जहां एक वर्षीय LLM जैसे अधिक कठिन और गहन कोर्स चलते हैं, वहां भी इस तरह की कोई रोक नहीं है। ऐसे में वहां पढ़ने वाले स्टूडेंट न केवल पढ़ाई कर पाते हैं बल्कि व्यावहारिक अनुभव भी अर्जित करते हैं, जिससे वे न्यायिक सेवाओं और अन्य पेशेवर अवसरों के लिए कहीं बेहतर स्थिति में पहुंच जाते हैं।
इस पृष्ठभूमि में हाईकोर्ट ने मामले को गंभीर मानते हुए DU और BCI दोनों से जवाब तलब किया।
केस टाइटल: Harish और अन्य बनाम University of Delhi एवं अन्य

