हाईकोर्ट की फटकार के बाद दिल्ली पुलिस ने सभी जांच अधिकारियों को केस डायरी प्रस्तुत करने का आश्वासन दिया
Amir Ahmad
17 July 2025 12:44 PM IST

दिल्ली हाईकोर्ट की फटकार के बाद दिल्ली पुलिस ने न्यायालय को आश्वासन दिया कि अब से सभी जांच अधिकारी न्यायिक जांच के लिए मामले की केस डायरी प्रस्तुत करेंगे।
यह तब हुआ जब जस्टिस गिरीश कठपालिया ने एक अन्य मामले में यह टिप्पणी की कि जांच अधिकारी केस डायरी वाली मूल जांच फ़ाइल नहीं लाए हैं।
न्यायालय ने कहा,
"जांच फ़ाइल की केवल फोटोकॉपी ही लाई गई। जांच को प्रमाणित करने के लिए केस डायरी अत्यंत महत्वपूर्ण है। पिछले कुछ हफ़्तों में यह देखा गया है कि जाँच अधिकारी केस डायरी प्रस्तुत नहीं करते हैं।"
इसके बाद एडिशनल चीफ जस्टिस ने न्यायालय को आश्वासन दिया कि अब से सभी जांच अधिकारी मामलों की केस डायरी प्रस्तुत करेंगे।
अदालत भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 309(4), 309(6), 311 और 3(5) तथा शस्त्र अधिनियम की धारा 25, 27, 54 और 59 के तहत दर्ज डकैती के मामले में जमानत की मांग कर रहे एक व्यक्ति की याचिका पर विचार कर रही थी।
यह आरोप लगाया गया कि लुटेरों द्वारा कथित अपराध में इस्तेमाल किया गया वाहन उससे बरामद किया गया था। बेशक वह उन तीन लुटेरों में से एक नहीं था।
उसका तर्क था कि वह निर्दोष है और उसे मामले में झूठा फंसाया गया। यह भी तर्क दिया गया कि गवाह टीआईपी कार्यवाही में उसकी पहचान नहीं कर सके।
जांच फाइल का अवलोकन करते हुए अदालत ने पाया कि डकैती में कथित रूप से इस्तेमाल किए गए स्कूटर के जब्ती ज्ञापन के अनुसार, यह एक पार्क में सूखे पौधों के नीचे से बरामद किया गया, न कि आरोपी के आवासीय परिसर में या उसके विशेष कब्जे से।
न्यायालय ने कहा,
"उपरोक्त परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए आवेदन स्वीकार किया जाता है। अभियुक्त/आवेदक को 10,000 रुपये के निजी मुचलके और उतनी ही राशि की ज़मानत जमा करने की शर्त पर ज़मानत पर रिहा करने का निर्देश दिया जाता है ताकि निचली अदालत की संतुष्टि हो सके।"
इसी से संबंधित अन्य घटनाक्रम में जस्टिस कठपालिया ने इसी तरह के आदेश में हत्या के मामले में अभियुक्त व्यक्ति को जमानत दी। साथ ही जांच अधिकारी के आचरण की कड़ी निंदा की, जो बिना उचित केस फ़ाइल और डायरी के अदालत में उपस्थित हुआ था।
केस टाइटल: अंकित बनाम राज्य (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली)

