कैज़ुअल और लापरवाह रवैया: दिल्ली सरकार द्वारा वक्फ़ ट्रिब्यूनल गठित न करने पर हाईकोर्ट ने जताई नाराज़गी
Amir Ahmad
10 Sept 2025 12:05 PM IST

दिल्ली हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी में अब तक वक्फ़ ट्रिब्यूनल का गठन न होने पर सख़्त नाराज़गी जताई और कहा कि दिल्ली सरकार का इस मामले में रवैया कैज़ुअल और लापरवाह है।
जस्टिस सचिन दत्ता ने सुनवाई के दौरान कहा,
“ऐसा प्रतीत होता है कि GNCTD ने अभी तक संबंधित वक्फ़ ट्रिब्यूनल के सदस्यों की नियुक्ति के लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भी नहीं भेजा है। इस अदालत को GNCTD के इस कैज़ुअल और लापरवाह रवैये पर नाराज़गी व्यक्त करनी पड़ रही है।”
कार्यवाही के दौरान दिल्ली सरकार के लॉ सचिव ने वर्चुअल माध्यम से अदालत को आश्वस्त किया कि ट्रिब्यूनल का गठन जल्द से जल्द सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। उन्होंने प्रोग्रेस रिपोर्ट दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय मांगा, जिस पर अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 18 सितंबर तय की।
अदालत मस्जिद और दरगाह शाह अब्दुल सलाम (विधिवत अधिसूचित वक्फ़) द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें सरकार को वक्फ़ ट्रिब्यूनल का पुनर्गठन करने के लिए निर्देश देने की मांग की गई। इस याचिका पर पिछले वर्ष ही नोटिस जारी किया गया।
याचिका में कहा गया कि दिल्ली में वक्फ़ ट्रिब्यूनल ने अंतिम बार 20 अप्रैल, 2022 को काम किया, जब तत्कालीन अध्यक्ष (राज्य न्यायिक सेवा/एडीजे) का तबादला कर दिया गया। इसके बावजूद सरकार ने वक्फ़ अधिनियम 1995 की धारा 83(1) के तहत आवश्यक अधिसूचना जारी नहीं की, जिसके कारण ट्रिब्यूनल कामकाज से वंचित रहा।
याचिका में यह भी कहा गया कि ट्रिब्यूनल के अन्य दो सदस्यों को भी पुनः अधिसूचित किया जाना आवश्यक है, अन्यथा अध्यक्ष की नियुक्ति की अधिसूचना जारी होने तक उनकी प्रतिनियुक्ति की अवधि समाप्त हो जाएगी।
याचिकाकर्ता का कहना है कि सरकार की लापरवाही के कारण न केवल वक्फ़ ट्रिब्यूनल में लंबित मामलों की संख्या बढ़ रही है बल्कि इस वजह से हाईकोर्ट पर भी अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है, क्योंकि अंतरिम राहत चाहने वाले पक्षकार सीधे अनुच्छेद 226 के तहत हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटा रहे हैं, जबकि वास्तव में हाईकोर्ट वक्फ़ ट्रिब्यूनल के आदेशों के लिए पुनर्विचार अदालत है।
केस टाइटल: Masjid and Dargah Shah Abdul Salam v. The Government of NCT of Delhi & Anr

