हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार से हाइब्रिड कोर्ट परियोजना को प्राथमिकता के आधार पर लागू करने का निर्देश दिया

Amir Ahmad

20 July 2024 9:34 AM GMT

  • हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार से हाइब्रिड कोर्ट परियोजना को प्राथमिकता के आधार पर लागू करने का निर्देश दिया

    दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में दिल्ली सरकार को 387 करोड़ रुपये की वित्तीय मंजूरी देने में तेजी लाने और राष्ट्रीय राजधानी में 691 अदालतों में हाइब्रिड सुनवाई के लिए परियोजना को प्राथमिकता के आधार पर लागू करने का निर्देश दिया।

    एक्टिंग चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि पायलट अदालतों सहित सभी जिला अदालतों के लिए व्यापक निविदा जारी की जाएगी।

    अदालत ने कहा,

    "हाइब्रिड सुनवाई के लिए शामिल व्यय 500 करोड़ रुपये से कम है और हाइब्रिड सुनवाई की नीति जीएनसीटीडी द्वारा हाईकोर्ट में पहले ही लागू की जा चुकी है, इसलिए इस न्यायालय का विचार है कि अनुसूची के खंड 9 को लागू नहीं किया जा सकता। इसके लिए अनिवार्य कैबिनेट अनुमोदन की आवश्यकता नहीं है।"

    इसने कहा कि इस मामले में देरी बर्दाश्त नहीं की जा सकती, क्योंकि तकनीक बहुत तेजी से पुरानी हो जाती है। इसके अलावा अदालत ने दिल्ली सरकार को शुरू में प्रत्येक न्यायालय परिसर में दो पायलट न्यायालय स्थापित करने की अनुमति दी। इसने तदनुसार, 29 अप्रैल को पारित आदेश को संशोधित किया जिसमें निर्देश दिया गया कि प्रत्येक जिले में शुरू में दो पायलट न्यायालय स्थापित किए जाएं।

    अदालत ने कहा,

    "दो पायलट न्यायालयों का चयन रजिस्ट्रार जनरल, दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा तय किया जाएगा। 29 अप्रैल, 2024 का आदेश उस सीमा तक संशोधित है।"

    मामले की सुनवाई अब 30 सितंबर को होगी।

    इससे पहले यह देखते हुए कि COVID-19 महामारी के कारण नागरिकों के न्याय तक पहुंच के अधिकार में गंभीर बाधा उत्पन्न हुई, न्यायालय ने दिल्ली सरकार को जिला न्यायालयों और अर्ध-न्यायिक निकायों में हाइब्रिड सुनवाई के लिए बुनियादी ढाँचा और अन्य सुविधाएँ प्रदान करने के लिए शीघ्र कदम उठाने का निर्देश दिया।

    पीठ ने कहा था,

    “न्याय तक पहुंच ऐसा अधिकार है, जो सभी नागरिकों को उपलब्ध है। चल रही महामारी के कारण इसमें गंभीर बाधा उत्पन्न हुई है। जिला न्यायालयों के साथ-साथ उपभोक्ता मंच/न्यायाधिकरण भी बुनियादी ढाँचे और अन्य सुविधाओं की कमी के कारण कुशलतापूर्वक कार्य करने में सक्षम नहीं हैं। मामलों का लंबित होना बढ़ता जा रहा है, लोगों को अपनी शिकायतों के निवारण के लिए प्रतीक्षा करनी पड़ रही है।”

    केस टाइटल- अनिल कुमार हेजेले और अन्य बनाम माननीय हाईकोर्ट दिल्ली

    Next Story