निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों को फीस बढ़ाने से पहले पूर्वानुमति को अनिवार्य बनाने वाले दिल्ली सरकार के सर्कुलर पर हाईकोर्ट की रोक
Amir Ahmad
2 May 2024 1:35 PM IST
दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार द्वारा जारी उस सर्कुलर पर रोक लगा दी। उक्त सर्कुलर में कहा गया कि राष्ट्रीय राजधानी में कोई भी मान्यता प्राप्त निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूल, जिसे सरकारी एजेंसियों द्वारा भूमि आवंटित की गई है, शिक्षा निदेशक (DOI) की पूर्वानुमति के बिना आगामी 2024-25 शैक्षणिक सत्र के लिए फीस नहीं बढ़ाएगा।
जस्टिस सी हरि शंकर ने 27 मार्च को जारी उस सर्कुलर पर रोक लगा दी, जिसमें सभी निजी मान्यता प्राप्त गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों को शिक्षा निदेशक (DOI) की पूर्वानुमति के बिना फीस बढ़ाने से रोक दिया गया था।
शिक्षा विभाग ने सभी निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों के प्रमुखों और प्रबंधकों से 01 से 15 अप्रैल के बीच अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर फीस वृद्धि के प्रस्ताव प्रस्तुत करने को कहा।
न्यायालय ने यह अंतरिम आदेश एक्शन कमेटी गैर-सहायता प्राप्त मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों द्वारा विवादित सर्कुलर के खिलाफ दायर याचिका पर विचार करते हुए पारित किया।
याचिका में नोटिस जारी करते हुए न्यायालय ने पाया कि विभिन्न निर्णयों में यह माना गया कि निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों को अपनी फीस बढ़ाने से पहले पूर्व अनुमोदन लेने की आवश्यकता नहीं है, जब तक कि वे कैपिटेशन फीस वसूल कर मुनाफाखोरी या शिक्षा का व्यावसायीकरण नहीं करते हैं और यह कि शिक्षा के व्यावसायीकरण और लाभ कमाने के बीच अंतर है।
इसने कहा कि शिक्षा विभाग को एक्शन कमेटी गैर-सहायता प्राप्त मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों बनाम शिक्षा विभाग में दिल्ली हाइकोर्ट के फैसले का सम्मान करना चाहिए, जिसमें यह माना गया कि निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों को फीस बढ़ाने से पहले शिक्षा विभाग से पूर्व अनुमोदन लेने की कोई आवश्यकता नहीं है।
अदालत ने कहा,
"शिक्षा विभाग द्वारा लगातार सर्कुलर जारी करके शिक्षा विभाग की पूर्व स्वीकृति प्राप्त किए बिना फीस बढ़ाने की स्थिति में कार्रवाई की धमकी देना आपत्तिजनक है। इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती।"
उसने कहा कि एक्शन कमेटी अनएडेड रिकॉग्नाइज्ड प्राइवेट स्कूल मामले में लिए गए निर्णय के खिलाफ शिकायतों को, यदि बिल्कुल भी हो तो उस खंडपीठ के समक्ष प्रस्तुत किया जाना चाहिए, जिसके समक्ष अपील लंबित है।
अदालत ने कहा,
"जब तक खंडपीठ द्वारा कोई निषेधाज्ञा अंतरिम या एक्शन कमेटी अनएडेड रिकॉग्नाइज्ड प्राइवेट स्कूल के सिद्धांत के साथ नहीं दी जाती है कि किसी भी अनएडेड मान्यता प्राप्त स्कूल द्वारा अपनी फीस बढ़ाने से पहले शिक्षा विभाग की पूर्व स्वीकृति की आवश्यकता नहीं है, भले ही वह उस भूमि पर स्थित हो, जिस पर भूमि खंड लागू होता है तब एक्शन कमेटी अनएडेड रिकॉग्नाइज्ड प्राइवेट स्कूल का निर्णय ही लागू होगा और शिक्षा विभाग को उस स्थिति का सम्मान करना चाहिए।"
मामले की सुनवाई अब 31 जुलाई को होगी।
केस टाइटल- कार्रवाई समिति गैर-सहायता प्राप्त मान्यता प्राप्त निजी स्कूल बनाम शिक्षा निदेशालय