जजों के लिए आवासीय फ्लैट निर्माण में प्रगति न होने पर हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार और DDA को फटकार लगाई
Amir Ahmad
25 April 2025 6:10 AM

दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को राष्ट्रीय राजधानी में न्यायिक अधिकारियों के लिए फ्लैट और आधिकारिक आवासों के निर्माण में कोई प्रगति न होने पर दिल्ली सरकार और दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) को फटकार लगाई।
चीफ जस्टिस डी. के. उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेदेला की खंडपीठ ने कहा कि कोर्ट ने इस मामले में DDA से अनुरोध किया लेकिन वह अनसुना कर दिया गया।
कोर्ट ने टिप्पणी की कि यह अपेक्षित है कि सरकारी अधिकारी जजों की गरिमामयी रहने की आवश्यकता को समझें और इसे संवेदनशीलता के साथ देखें।
कोर्ट ने कहा,
“हमें लगभग भीख मांगनी पड़ रही है। कोर्ट ने अपने आदेशों में यह अनुरोध दर्ज किया है हमें दीवार से मत ठेलिए। अन्यथा सुनिश्चित कीजिए, वरना ये मीठे बोल किसी काम के नहीं होंगे।”
कोर्ट ने यह भी जोड़ा कि वह अधिकारियों को तलब करने की स्थिति में आ गई। हर विभाग अदालत की सहनशीलता की परीक्षा ले रहा है।
कोर्ट ने कहा,
“यह केंद्र सरकार और राज्य सरकार दोनों के लिए है। सभी विभागों और अधिकारियों को इस बारे में जानकारी दें। उन्हें अदालत की सहनशीलता की इस तरह परीक्षा नहीं लेनी चाहिए।”
कोर्ट ने दिल्ली सरकार को तीन सप्ताह का समय दिया ताकि द्वारका में न्यायाधीशों के सरकारी आवासों के लिए फंड जारी करने को लेकर बैठक बुलाने पर सकारात्मक निर्णय लिया जा सके।
कोर्ट ने DDA के आयुक्त को निर्देश दिया कि वह न्यायिक आदेशों के अनुपालन में उठाए गए कदमों की जानकारी देते हुए जवाब दाखिल करें, जिसमें जजों के लिए वैकल्पिक फ्लैट की उपलब्धता भी शामिल हो।
कोर्ट ने यह भी कहा कि DDA के निदेशक को मई में होने वाली अगली सुनवाई में उपस्थित रहना होगा।
पिछले महीने कोर्ट ने जजों के लिए आवासीय फ्लैटों के लंबित निर्माण परियोजना के लिए वित्त सुनिश्चित करने के प्रयासों की कमी पर दिल्ली सरकार को फटकार लगाई थी।
कोर्ट ने दिल्ली सरकार को यह भी याद दिलाया कि न्यायिक अधिकारियों को पर्याप्त सरकारी आवास उपलब्ध कराना सभी के लिए प्राथमिकता होनी चाहिए।
इससे पहले कोर्ट को सूचित किया गया कि न्यायिक अधिकारियों की कुल स्वीकृत संख्या 897 है, जबकि उपलब्ध फ्लैटों की संख्या केवल 348 है, जो विभिन्न स्थानों पर स्थित हैं। इस प्रकार 549 फ्लैटों की कमी है।
यह जनहित याचिकाएं साहिल ए गर्ग नरवाना और दिल्ली न्यायिक सेवा संघ द्वारा दायर की गई।
केस टाइटल: साहिल ए गर्ग नरवाना बनाम भारत संघ एवं अन्य संबंधित मामले