दिल्ली हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: कोलकाता में वकीलों पर हमले के मामले में 12 लोगों को आपराधिक अवमानना का दोषी करार, एक दिन की जेल और जुर्माना

Amir Ahmad

23 Aug 2025 1:01 PM IST

  • दिल्ली हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: कोलकाता में वकीलों पर हमले के मामले में 12 लोगों को आपराधिक अवमानना का दोषी करार, एक दिन की जेल और जुर्माना

    दिल्ली हाईकोर्ट ने 2015 में कोलकाता में अदालत द्वारा नियुक्त वकीलों पर हमला करने के मामले में 12 लोगों को आपराधिक अवमानना का दोषी ठहराया। अदालत ने प्रत्येक दोषी पर 2,000 रुपये का जुर्माना लगाया और उन्हें एक दिन के साधारण कारावास की सजा सुनाई।

    जस्टिस सुब्रमोनियम प्रसाद और जस्टिस हरीश वैद्यनाथन शंकर की खंडपीठ ने कहा कि भले ही सभी दोषियों ने बिना शर्त माफी मांगी लेकिन वकील कमिश्नरों के साथ की गई मारपीट उन्हें लगी गंभीर चोटें और उनके साथ गए पुलिस अधिकारियों के घायल होने को देखते हुए सजा आवश्यक है।

    यह मामला 2015 में उस समय सामने आया, जब हाईकोर्ट को सूचना मिली कि कोलकाता में 11 वकील, जिन्हें अदालत ने लोकल कमिश्नर नियुक्त किया था, पर भीड़ ने हमला कर दिया। अदालत ने तत्काल स्वतः संज्ञान लेते हुए कोलकाता पुलिस आयुक्त और उपायुक्त को नोटिस भेजा तथा आरोपियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया।

    जानकारी के अनुसार वकील कमिश्नर सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी लिमिटेड द्वारा 2014 में दायर ट्रेडमार्क उल्लंघन मामले में कोलकाता के विभिन्न परिसरों का निरीक्षण करने पहुंचे थे। उन पर नकली सैमसंग उत्पाद जैसे मोबाइल फोन, टैबलेट और एक्सेसरीज बेचने का आरोप है। निरीक्षण के दौरान उन पर भीड़ ने हमला कर दिया।

    एक वकील कमिश्नर ने अदालत को बताया कि उनके दाहिनी आंख और बाईं गाल पर गंभीर चोटें आईं और उनके दो दांत टूट गए। उन्होंने यह भी कहा कि बाकी कमिश्नरों को भी पीटा गया और उन्हें जान बचाने के लिए भागना पड़ा।

    अदालत ने अपने आदेश में कहा कि ऐसे लोग जो केवल अनजाने में वहां मौजूद थे और जिन्हें असली स्थिति की जानकारी नहीं थी, उन्हें आपराधिक अवमानना की परिभाषा में नहीं लाया जा सकता। अदालत ने स्पष्ट किया कि यह कार्रवाई केवल उन लोगों पर है, जिनके खिलाफ यह प्रमाण है कि उन्होंने अदालत के आदेश के पालन में बाधा डाली।

    खंडपीठ ने कहा,

    “वकील कमिश्नरों को बेरहमी से पीटा गया, जिससे उनके मन में भय बैठ गया और उन्हें अपना काम छोड़कर भागना पड़ा। इसका उद्देश्य अदालत द्वारा सौंपे गए कार्य में बाधा डालना था, जो न्याय के प्रशासन में हस्तक्षेप है।”

    अदालत ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर ऐसे लोगों को कड़ी सजा नहीं दी गई तो आम नागरिकों के बीच कानून का भय समाप्त हो जाएगा और यह समाज की संरचना के लिए घातक सिद्ध होगा।

    केस टाइटल: COURT ON ITS OWN MOTION बनाम M/S OBSESSION NAAZ & ORS

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