दिल्ली हाईकोर्ट ने सोशल मीडिया पर जजों को बदनाम करने के लिए अवमानना मामले में व्यक्ति को बरी किया, 1 लाख का जुर्माना लगाया
Amir Ahmad
25 July 2024 11:55 AM IST
बिना शर्त माफ़ी स्वीकार करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने एक व्यक्ति को बरी कर दिया जिसे सोशल मीडिया पर जजों को बदनाम करने वाला वीडियो पोस्ट करने और यह दावा करने के लिए अदालत की आपराधिक अवमानना का दोषी ठहराया गया था कि वे अवैध कार्य कर रहे हैं।
जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस मनोज जैन की खंडपीठ ने उसकी बिना शर्त माफ़ी स्वीकार कर ली और उसे अवमानना कार्यवाही से मुक्त कर दिया।
उस व्यक्ति ने प्रस्तुत किया कि वह अवमानना कार्यवाही में बर्बाद हुए सार्वजनिक समय की भरपाई के लिए कल्याण उद्देश्यों के लिए 1 लाख रुपये जमा करने को तैयार है।
इस प्रकार खंडपीठ ने व्यक्ति को दो सप्ताह के भीतर रजिस्ट्री में 1 लाख रुपये जमा करने का निर्देश दिया।
उनसे कहा गया कि 1 लाख रुपये जमा करने के लिए उसे 1 लाख रुपये का भुगतान करना होगा। जिसमे 25,000 रुपये प्रत्येक को दिल्ली हाईकोर्ट विधिक सेवा समिति, दिल्ली निर्धन एवं दिव्यांग वकील कोष, निर्मल छाया फॉर वेलफेयर ऑफ चिल्ड्रन एंड डेस्टिट्यूट वूमेन तथा भारत के वीर कोष के पक्ष में बांटे जाएंगे।
अवमानना कार्यवाही बंद करते हुए पीठ ने स्पष्ट किया कि यदि भविष्य में कोई व्यक्ति इस तरह का व्यवहार करता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
व्यक्ति के हलफनामे के अनुसार, उसने कहा कि अपने सोशल मीडिया हैंडल पर वीडियो अपलोड करते समय उसका उद्देश्य न तो न्यायालय और न ही जजों को बदनाम करना था और न ही न्यायालय की गरिमा को कम करने के लिए उन्हें बदनाम करना था।
उनका कहना था कि उसने वीडियो केवल मामले के चल रहे तरीके के बारे में अपनी राय व्यक्त करने के लिए अपलोड किया था।
संबंधित व्यक्ति शहर के न्यू अशोक नगर में संपत्ति के संबंध में उसके खिलाफ दायर मामले में प्रतिवादी था।
मामले में याचिकाकर्ता ने कहा कि संबंधित वीडियो पोस्ट करके व्यक्ति ने जानबूझकर न्यायिक कार्य में हस्तक्षेप किया न्याय प्रशासन में बाधा डाली न्यायालय की गरिमा को कम किया और बदनाम किया।
अदालत ने कहा कि वीडियो में विशेष रूप से जजों की मानहानि की गई है और उस व्यक्ति ने आरोप लगाया है कि वह जनता की अदालत के सामने अदालतों के असली भाग्य का खुलासा कर रहा था।
केस टाइटल- सुधा प्रसाद बनाम उदय पाल सिंह