RTI कानून | केंद्रीय सूचना आयोग नीतिगत सुझाव नहीं दे सकता, केवल सूचना पारदर्शिता सुनिश्चित करना उसका कार्य: दिल्ली हाईकोर्ट
Amir Ahmad
30 July 2025 3:11 PM IST

दिल्ली हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 (RTI Act) के तहत गठित केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) का उद्देश्य केवल सार्वजनिक प्राधिकरणों द्वारा सूचना की पारदर्शिता और प्रकटीकरण सुनिश्चित करना है, न कि उन्हें किसी भी प्रकार के नीतिगत सुझाव देना।
जस्टिस प्रतीक जलान ने यह टिप्पणी हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (HPCL) की याचिका स्वीकार करते हुए की, जिसमें CIC द्वारा जारी किए गए कारण बताओ नोटिस को चुनौती दी गई। यह नोटिस HPCL के एक निलंबित कर्मचारी की शिकायत पर जारी किया गया, जिसमें सूचना न देने का आरोप लगाया गया।
कर्मचारी ने HPCL के वकीलों की सूची मांगी थी। HPCL ने जवाब दिया कि वह वकीलों की पैनल सूची नहीं बनाता बल्कि जरूरत के अनुसार केस दर केस आधार पर वकीलों की नियुक्ति करता है। फिर भी HPCL ने 603 वकीलों की सूची और उन अदालतों का विवरण उपलब्ध कराया, जहां उन्होंने HPCL की ओर से पेशी दी।
इसके बावजूद कर्मचारी CIC पहुंचा और आरोप लगाया कि HPCL अधिवक्ताओं का पैनल बनाए रखता है और जानकारी छिपाई गई है।
CIC ने HPCL को नोटिस जारी करते हुए उसकी इस नीति की आलोचना की कि वह पैनल नहीं बनाता और बिना किसी दिशा-निर्देश के अधिवक्ताओं की नियुक्ति करता है।
HPCL ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर तर्क दिया कि CIC को नीतिगत मामलों में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है। RTI Act के तहत उसका कार्य केवल वही सूचना उपलब्ध कराना है जो संस्था के पास पहले से है।
हाईकोर्ट ने इस पर सहमति जताते हुए कहा,
“RTI कानून का उद्देश्य केवल सरकार और सार्वजनिक संस्थानों में पारदर्शिता बढ़ाना है। यह उन्हें वह जानकारी देने के लिए बाध्य नहीं करता जो उनके पास उपलब्ध ही नहीं है।”
अदालत ने कहा कि CIC इस मामले में नीति को लेकर टिप्पणी कर रहा था, जबकि उसका कार्य यह देखना था कि क्या HPCL ने सूचना को जानबूझकर रोका या गलत/अधूरी जानकारी दी।
हाईकोर्ट ने माना कि CIC का यह रवैया RTI कानून की सीमाओं के बाहर है, इसलिए उसका कारण बताओ नोटिस निरस्त किया जाता है।
केस टाइटल: हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड व अन्य बनाम सिद्धार्थ मुखर्जी

