दिल्ली हाइकोर्ट ने अरविंद केजरीवाल से पूछा, 'आप पेश क्यों नहीं होते?' एजेंसी के समन के खिलाफ उनकी याचिका की स्थिरता पर ED से जवाब मांगा

Amir Ahmad

20 March 2024 7:11 AM GMT

  • दिल्ली हाइकोर्ट ने अरविंद केजरीवाल से पूछा, आप पेश क्यों नहीं होते? एजेंसी के समन के खिलाफ उनकी याचिका की स्थिरता पर ED से जवाब मांगा

    दिल्ली हाइकोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) से मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा कथित शराब नीति घोटाले के संबंध में केंद्रीय जांच एजेंसी द्वारा उन्हें जारी किए गए समन को चुनौती देने वाली याचिका की स्थिरता पर जवाब मांगा।

    जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस मनोज जैन की खंडपीठ ने ED को जवाब दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया। केजरीवाल को भी जवाब दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया गया।

    इस मामले की सुनवाई अब 22 अप्रैल को होगी।

    एएसजी एसवी राजू अग्रिम सूचना पर ED की ओर से पेश हुए और याचिका पर औपचारिक नोटिस जारी करने का विरोध किया। जांच एजेंसी ने दलील दी कि याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। सुनवाई योग्यता पर जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा।

    सीनियर वकील अभिषेक मनु सिंघवी केजरीवाल की ओर से पेश हुए और दलील दी कि याचिका में उठाए गए मुद्दों में से एक यह है कि क्या कोई राजनीतिक दल PMLA Act के तहत आता है, क्योंकि अधिनियम के तहत इसे परिभाषित नहीं किया गया।

    अदालत ने मौखिक रूप से सिंघवी से पूछा कि केजरीवाल समन के जवाब में क्यों नहीं पेश होते। इस पर सिंघवी ने दलील दी कि केजरीवाल भाग नहीं रहे हैं और पेश होंगे बशर्ते उन्हें सुरक्षा दी जाए। उनके पक्ष में कोई बलपूर्वक कदम नहीं उठाने का आदेश दिया जाए।

    सिंघवी ने कहा,

    "मेरे द्वारा दायर 10 समन और 11 जवाबों में चुनाव नजदीक हैं। आप मुझे यह नहीं बता सकते कि मुझे आरोपी, संदिग्ध या गवाह के तौर पर बुलाया जा रहा है। मैं पेश होऊंगा और सभी प्रश्नावली का जवाब दूंगा लेकिन मुझे सुरक्षा चाहिए।”

    इसके बाद पीठ ने कहा कि अगर केजरीवाल समन का जवाब देते हैं, तभी उन्हें पता चलेगा कि उन्हें आरोपी या गवाह के तौर पर बुलाया जा रहा है।

    सिंघवी ने जवाब दिया,

    "सुरक्षा की जरूरत है। मैं भाग नहीं रहा हूं। मैं खुद आऊंगा लेकिन मुझे सुरक्षा चाहिए और कोई बलपूर्वक कदम नहीं उठाना चाहिए।”

    इस पर जस्टिस कैत ने टिप्पणी की:

    “आपको कॉल पर उपस्थित न होने से क्या रोक रहा है? आम तौर पर यह प्रथा है। हमने भी कई मामले किए हैं। वे (ED) पहले या दूसरे दिन गिरफ्तारी नहीं करते। जब आधार होते हैं तो वे कारण दर्ज करते हैं और उसके बाद वे ऐसा करते है।”

    इसके बाद सिंघवी ने मामले में आम आदमी पार्टी के अन्य नेताओं मनीष सिसोदिया और संजय सिंह की गिरफ्तारी का उदाहरण दिया।

    उन्होंने कहा,

    “वे घर आते हैं और गिरफ्तार करते हैं। मनीष सिसोदिया को वे बुलाते हैं और वे गिरफ्तार कर लेते हैं।”

    उन्होंने कहा:

    “मैं कोई आम अपराधी नहीं हू मैं कहां भाग सकता हूं? क्या समाज में मुझसे ज्यादा जड़ें किसी और की हैं?”

    उन्होंने आगे कहा कि केजरीवाल पेश होंगे, लेकिन उन्हें सुरक्षा चाहिए और कोई बलपूर्वक कदम नहीं उठाना चाहिए।

    समन को चुनौती देने के अलावा केजरीवाल की याचिका में PMLA Act की धारा (2) (एस) को असंवैधानिक और मनमाना घोषित करने की मांग की गई, क्योंकि इसमें राजनीतिक दल को इसके दायरे में शामिल किया गया।

    याचिका में कहा गया कि प्रवर्तन निदेशालय (ED) यह मानकर आगे नहीं बढ़ सकता कि कोई राजनीतिक दल PMLA Act की धारा 2(1)(एस) में वर्णित कृत्रिम न्यायिक व्यक्ति के अंतर्गत आएगा। इसलिए राजनीतिक दल के पदाधिकारियों को PMLA Act की धारा 50 के तहत समन जारी करना गैरकानूनी स्पष्ट रूप से अवैध मनमाना है और कानून या तर्कसंगतता की कसौटी पर खरा नहीं उतर सकता।

    विवाद के बारे में

    ED ने केजरीवाल के खिलाफ शहर की राउज एवेन्यू अदालतों में दो आपराधिक शिकायतें दर्ज कीं, जिसमें उन पर समन का पालन न करने का आरोप लगाया गया। अब तक केंद्रीय जांच एजेंसी द्वारा मुख्यमंत्री को नौ समन जारी किए जा चुके हैं।

    पिछले सप्ताह केजरीवाल एसीएमएम कोर्ट में पेश हुए और उन्हें 15,000 रुपये के जमानत बांड और इतनी ही राशि की जमानत राशि जमा करने की शर्त पर जमानत दे दी गई।

    इस मामले की सुनवाई 01 अप्रैल को होगी।

    ED ने अपनी शिकायतों में आरोप लगाया कि केजरीवाल उन्हें जारी किए गए समन का पालन करने में विफल रहे। केजरीवाल ने समन को यह कहते हुए टाल दिया कि यह अवैध है। हालांकि उन्होंने हाल ही में ED को सूचित किया कि 12 मार्च के बाद उनसे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग लिंक के जरिए पूछताछ की जा सकती है।

    आम आदमी पार्टी के नेता मनीष सिसोदिया और संजय सिंह को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया गया है और वे फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं।

    ED ने आरोप लगाया कि आबकारी नीति को कुछ निजी कंपनियों को थोक व्यापार से 12 प्रतिशत का लाभ देने की साजिश के तहत लागू किया गया। हालांकि मंत्रियों के समूह (जीओएम) की बैठकों के विवरण में ऐसी शर्त का उल्लेख नहीं किया गया।

    केंद्रीय एजेंसी ने यह भी दावा किया कि विजय नायर और अन्य व्यक्तियों ने साउथ ग्रुप के साथ मिलकर थोक विक्रेताओं को असाधारण लाभ मार्जिन देने की साजिश रची थी। एजेंसी के अनुसार नायर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया की ओर से काम कर रहे थे।

    केस टाइटल-अरविंद केजरीवाल बनाम प्रवर्तन निदेशालय

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