अवैध संबंध साबित करने के लिए कोर्ट मंगवा सकता है मोबाइल लोकेशन : दिल्ली हाईकोर्ट

Amir Ahmad

30 Aug 2025 1:04 PM IST

  • अवैध संबंध साबित करने के लिए कोर्ट मंगवा सकता है मोबाइल लोकेशन : दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि वैवाहिक विवादों में अगर पति-पत्नी के बीच व्यभिचार का आरोप लगता है तो अदालत मोबाइल लोकेशन और कॉल डिटेल रिकॉर्ड (CDR) मंगवाने का आदेश दे सकती है।

    जस्टिस अनिल क्षेत्रपाल और जस्टिस हरीश वैद्यनाथन शंकर की डिवीजन बेंच ने साफ किया कि ऐसे मामलों में सबूत अक्सर परिस्थितिजन्य होते हैं। यानी होटल में ठहरना लगातार बातचीत या मोबाइल लोकेशन जैसे तथ्य अदालत के लिए अहम हो सकते हैं।

    कोर्ट ने कहा,

    "ऐसा डेटा सीधे विवाद से जुड़ा है और इसे फिशिंग इन्क्वायरी नहीं कहा जा सकता। बशर्ते कि यह केवल एक तय समयावधि तक सीमित हो और सीलबंद लिफाफे में गोपनीयता के साथ अदालत के सामने पेश किया जाए।"

    यह आदेश उस मामले में आया, जहां एक कथित प्रेमिका ने फैमिली कोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी। फैमिली कोर्ट ने उसके और महिला के पति के कॉल डिटेल्स और मोबाइल टॉवर लोकेशन पेश करने को कहा था।

    याचिकाकर्ता ने दलील दी कि यह उसके प्राइवेसी (गोपनीयता के अधिकार) का उल्लंघन है। लेकिन हाईकोर्ट ने माना कि पत्नी सिर्फ वही सबूत मांग रही है, जिससे उसका आरोप साबित हो सके।

    कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के Sharda v. Dharmpal (2003) फैसले का हवाला देते हुए कहा कि सच्चाई तक पहुंचने के लिए सीमित दायरे में निजी जानकारी हासिल करना वैध है।

    हाईकोर्ट ने यह भी साफ किया,

    फैमिली कोर्ट तकनीकी साक्ष्य नियमों से बंधा नहीं है। उसे सच्चाई तक पहुंचने के लिए लचीलापन दिया गया। सबूत तौलने के लिए अदालत सीपीसी की धारा 151 फैमिली कोर्ट्स एक्ट की धारा 14 और साक्ष्य अधिनियम की धारा 165 के तहत कार्रवाई कर सकती है। हालांकि, प्राइवेसी का हक़ (अनुच्छेद 21 के तहत मौलिक अधिकार) सुरक्षित है और कोर्ट को यह सुनिश्चित करना होगा कि आदेश अनुपातिक और वाजिब कारणों पर आधारित हो।

    केस टाइटल: Tanvi Chaturvedi v. Smita Shrivastava & Anr

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