दिल्ली हाईकोर्ट ने कुश्ती महासंघ के कामकाज को चलाने के लिए IOA द्वारा नियुक्त एड- हॉक समिति बहाल की
Amir Ahmad
16 Aug 2024 5:54 PM IST
दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) की सभी गतिविधियों और प्रबंधन की देखरेख और उसे अपने हाथ में लेने के लिए पिछले साल 27 दिसंबर को भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) द्वारा नियुक्त एड- हॉक समिति के अधिकार क्षेत्र को बहाल कर दिया।
फरवरी में यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग द्वारा WFI पर प्रतिबंध हटाए जाने के बाद IOA ने 18 मार्च को एड–हॉक समिति को भंग कर दिया था।
जस्टिस सचिन दत्ता ने कहा कि एड–हॉक समिति भंग करना अनुचित था।
हालांकि न्यायालय ने कहा कि IOA को एड- हॉक समिति का पुनर्गठन करने की छूट होगी, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह एक बहु-सदस्यीय निकाय हो, जिसमें प्रतिष्ठित खिलाड़ी या विशेषज्ञ शामिल हों जो अंतरराष्ट्रीय महासंघों से निपटने में पारंगत हों। WFI के संबंध में उठाए गए कदमों के संबंध में UWW की किसी भी चिंता को दूर किया जा सके।
अदालत ने कहा,
"इस प्रकार एड- हॉक समिति को भंग करना 24.12.2023 के उस आदेश को जारी रखने के साथ असंगत और असंगत है, जिसके तहत WFI की नव निर्वाचित कार्यकारी समिति को तत्काल प्रभाव से महासंघ की दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों के प्रशासन और प्रबंधन से दूर रहने का निर्देश दिया गया।"
अदालत ने पहलवानों बजरंग पुनिया विनेश फोगट, साक्षी मलिक और सत्यव्रत कादियान द्वारा दायर याचिका पर यह आदेश पारित किया, जिसमें केंद्र सरकार को भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) का निलंबन रद्द न करने का निर्देश देने की मांग की गई थी।
पहलवानों ने इस साल की शुरुआत में WFI द्वारा 26 फरवरी को जारी किए गए सर्कुलर के खिलाफ अपनी याचिका में आवेदन दायर किया था, जिसमें सीनियर एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप 2024 और एशियाई ओलंपिक खेलों के क्वालीफायर कुश्ती टूर्नामेंट के लिए चयन ट्रायल आयोजित करने की बात कही गई थी।
अपने आवेदन में पहलवानों ने WFI के प्रबंधन और प्रशासन को संभालने के लिए भारत के सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज को तुरंत नियुक्त करने के निर्देश मांगे थे।
उन्होंने WFI को निर्देश देने की भी मांग की कि वह सभी संसाधनों और डेटाबेस तक शांतिपूर्ण कब्जा और पहुंच को रिटायर्ड जज की अध्यक्षता वाली अदालत द्वारा नियुक्त समिति को सौंप दे।
पारित अंतरिम आदेश में जस्टिस दत्ता पहलवानों की इस प्रार्थना को स्वीकार करने के लिए इच्छुक नहीं थे कि किसी रिटायर्ड जज को WFI का प्रशासक नियुक्त किया जाए।
अदालत ने कहा,
"प्रतिवादी नंबर 2 के मामलों का प्रबंधन और नियंत्रण करने के लिए एक बहु-सदस्यीय एड- हॉक समिति (जैसा कि पहले उल्लेख किया गया) का होना उचित समझा जाता है।"
इसने स्पष्ट किया कि एड- हॉक समिति का अधिदेश केंद्र द्वारा IOA को जारी किए गए संचार के अनुसार होगा- भारतीय राष्ट्रीय खेल विकास संहिता-2011 में NSF की परिभाषित भूमिका के अनुसार WFI के मामलों का प्रबंधन और नियंत्रण करना जिसमें एथलीटों का चयन, अंतरराष्ट्रीय आयोजनों में खिलाड़ियों की भागीदारी के लिए प्रविष्टियां बनाना खेल गतिविधियों का आयोजन आदि शामिल हैं।
अदालत ने कहा,
“जहां तक इस तर्क का संबंध है कि प्रतिवादी नंबर 2 और उसकी संबद्ध इकाइयों का गठन NSDCI 2011 के अनुरूप नहीं है। NSDCI 2011 के अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिए रोडमैप तैयार किए जाने की आवश्यकता है। इस पहलू पर सभी संबंधित पक्षों की व्यापक सुनवाई के बाद रिट याचिका के अंतिम निपटान के चरण में इस पर विचार किया जाना आवश्यक है।”
इसने यह भी स्पष्ट किया कि निर्देश रिट याचिका में पारित किए जा सकने वाले आगे के आदेशों के अधीन हैं। आज के अंतरिम आदेश को पक्षों की दलीलों के गुण-दोष पर अंतिम राय के रूप में नहीं माना जाएगा।
याचिका में नोटिस 04 मार्च को जारी किया गया था। याचिका में WFI को निर्देश देने की मांग की गई कि वह 26 फरवरी को जारी किए गए सर्कुलर के माध्यम से अधिसूचित राष्ट्रीय ट्रायल आयोजित करने से बचें।
कुश्ती महासंघ को राष्ट्रीय खेल विकास संहिता, 2011 के अनुरूप बनाने तथा न्यायालय की देखरेख और निगरानी में सभी अंतरराष्ट्रीय आयोजनों के लिए राष्ट्रीय चयन ट्रायल आयोजित करने के लिए केंद्र सरकार और डब्ल्यूएफआई की एड- हॉक समिति को आगे निर्देश देने की मांग की गई।
पहलवानों का कहना था कि केंद्र सरकार ने 07 जनवरी को सर्कुलर जारी कर WFI को कोई भी गतिविधि करने से रोक दिया था तथा कहा था कि उसके द्वारा आयोजित किसी भी चैंपियनशिप या प्रतियोगिता को अस्वीकृत और गैर-मान्यता प्राप्त प्रतियोगिता माना जाएगा।
याचिका में कहा गया कि सर्कुलर के अनुसार, केवल आईओए द्वारा नियुक्त WFI की एड -हॉक समिति की देखरेख में आयोजित विभिन्न आयु वर्गों के लिए राष्ट्रीय कुश्ती चैंपियनशिप को ही खेल संहिता के तहत कुश्ती के लिए स्वीकृत और मान्यता प्राप्त चैंपियनशिप माना जाएगा।
याचिका में कहा गया कि किसी भी परिस्थिति में कुश्ती महासंघ को एशियाई चैंपियनशिप और विश्व चैंपियनशिप सहित अंतरराष्ट्रीय खेल आयोजनों के लिए स्वतंत्र और निष्पक्ष राष्ट्रीय ट्रायल आयोजित करने के लिए कानूनी और निष्पक्ष निकाय नहीं माना जा सकता।
केस टाइटल- बजरंगपुनिया एवं अन्य बनाम भारत संघ एवं अन्य।