1984 सिख विरोधी दंगे: दिल्ली हाईकोर्ट ने तीन सिख पुरुषों की हत्या के मुकदमे में खामियां बताईं, केस रिकॉर्ड दोबारा तैयार करने के निर्देश
Amir Ahmad
13 Aug 2025 11:47 AM IST

दिल्ली हाईकोर्ट ने 1984 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद Delhi-NCR में तीन सिख पुरुषों की हत्या के मामलों की जांच और सुनवाई में गंभीर खामियां पाई।
जस्टिस सुब्रमणियम प्रसाद और जस्टिस हरीश वैद्यनाथन शंकर की खंडपीठ ने कहा,
“रिकॉर्ड से प्रथमदृष्टया यह स्पष्ट है कि न केवल जांच लापरवाही से की गई, बल्कि ट्रायल के दौरान भी एडिशनल सेशन जजों ने महत्वपूर्ण गवाहों, खासकर प्रत्यक्षदर्शियों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए लगभग कोई कदम नहीं उठाए।"
तीनों सत्र मामले सेशंस केस 31/86, 32/86 और 10/86 में आरोपी वर्ष 1986 में बरी कर दिए गए थे। हाईकोर्ट को इन बरी के आदेशों में गंभीर कमियां मिलीं, जब वह पूर्व सांसद सज्जन सिंह की एक अन्य मामले में बरी के खिलाफ CBI की अपील देख रही थी।
अदालत ने कहा कि कई अहम गवाहों, जिनमें प्रत्यक्षदर्शी भी शामिल थे को पेश ही नहीं किया गया। कई मामलों के लिए संयुक्त चार्जशीट दाखिल की गई, जो सतही जांच को दर्शाती है। ट्रायल कोर्ट के फैसलों की प्रारंभिक पढ़ाई से लगता है कि वे पर्याप्त विचार के बाद नहीं दिए गए।
हाईकोर्ट ने इन तीनों मामलों में सुओ मोटू पुनरीक्षण शुरू किया, लेकिन पाया कि संबंधित रिकॉर्ड नष्ट या हटा दिए गए। अभी केवल संयुक्त चार्जशीट और अंतिम फैसले ही उपलब्ध हैं।
अदालत ने कहा कि गवाहों के बयान अदालत में प्रस्तुत दस्तावेज और धारा 161 दंप्रसं के तहत दर्ज बयान जैसे रिकॉर्ड के बिना आगे बढ़ना असंभव है। इसलिए अधिकार क्षेत्र वाली ट्रायल कोर्ट को इन तीनों मामलों का रिकॉर्ड फिर से तैयार करने का आदेश दिया गया।
खंडपीठ ने कहा,
“इन घटनाओं में मूल्यवान जीवन खो गए पीड़ितों और समाज के स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच तथा वास्तविक ट्रायल के अधिकार को फैट एकॉम्प्ली के कारण समझौता नहीं होने दिया जा सकता।"
अदालत ने उम्मीद जताई कि चूंकि 1984 दंगों की जांच के लिए कई आयोग बने थे। CBI ने भी बड़ी साजिश की जांच की थी इसलिए संभव है कि इन मामलों के रिकॉर्ड CBI या आयोगों के अभिलेखागार में उपलब्ध हों।
यदि रिकॉर्ड वहां नहीं मिलते हैं तो अदालत ने कहा कि इन मामलों में शामिल वकीलों लोक अभियोजकों बचाव पक्ष के वकीलों और सहायक वकीलों की मदद ली जा सकती है।
अगली सुनवाई 1 सितंबर को होगी।
केस टाइटल: स्वयं संज्ञान बनाम धनराज एवं अन्य

