शिकायत दर्ज करने में देरी सीनियर सिटीजन एक्ट के तहत राहत देने से इनकार करने का आधार नहीं: दिल्ली हाईकोर्ट
Amir Ahmad
22 Nov 2025 3:47 PM IST

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि शिकायत दर्ज करने में देरी सीनियर सिटीजन एक्ट 2007 के तहत सीनियर सिटीजन को राहत देने से इनकार करने का आधार नहीं है।
जस्टिस सचिन दत्ता ने कहा कि अगर कोई सीनियर सिटीजन तय कानूनी तरीके से शिकायत दर्ज करने में जल्दबाजी नहीं करता या तुरंत कार्रवाई नहीं करता है तो यह उस सीनियर सिटीजन को उस कानून से मिलने वाले अधिकारों से वंचित करने का आधार नहीं है।
कोर्ट ने कहा,
"हो सकता है कि किसी खास मामले में कोई सीनियर सिटीजन अपने बच्चों के हाथों उत्पीड़न झेलता रहे और इस उम्मीद में कुछ समय बाद ही संबंधित अथॉरिटी से संपर्क करे कि बच्चे/कानूनी वारिस अपना व्यवहार सुधार लेंगे, और स्थिति अपने आप ठीक हो जाएगी।"
कोर्ट ने आगे कहा,
"यह भी हो सकता है कि सीनियर सिटीजन जल्दबाजी में कदम उठाने के बजाय अपने बच्चों के साथ सुलह करने की कोशिश करे। हालांकि, यह अपने आप में सीनियर सिटीजन एक्ट, 2007 और उसके नियमों के तहत सीनियर सिटीजन को दिए गए अधिकारों से वंचित करने का कोई आधार नहीं है।"
कोर्ट एक सीनियर सिटीजन द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें डिविजनल कमिश्नर की अपीलीय अथॉरिटी द्वारा पारित आदेश को चुनौती दी गई। इस आदेश में उसकी बेटी पति और दो बच्चों के खिलाफ बेदखली का आदेश रद्द कर दिया गया, जो घर की दूसरी मंजिल पर रह रहे थे।
यह प्रॉपर्टी पिता को 1976 में दिल्ली डेवलपमेंट अथॉरिटी (जे.जे सेल) द्वारा जारी पजेशन के आधार पर अलॉट की गई। 2014 में उन्होंने अपनी बेटी और उसके परिवार को अस्थायी रूप से दूसरी मंजिल पर रहने की इजाज़त दी थी। एक रेंट एग्रीमेंट भी किया गया।
पिता ने बेटी और उसके परिवार द्वारा अपने और अपनी पत्नी के साथ किए गए दुर्व्यवहार के आरोपों पर शिकायत दर्ज की।
विवादित आदेश में इस बात पर ज़ोर दिया गया कि 2014 से लेकर सीनियर सिटीजन एक्ट, 2007 के तहत शिकायत दर्ज करने की तारीख तक पिता ने पुलिस या किसी अथॉरिटी से संपर्क करने के मामले में कोई कार्रवाई नहीं की थी।
यह भी देखा गया कि बेदखली की राहत पाने के लिए सीनियर सिटीजन के लिए यह साबित करना ज़रूरी है कि उसके कानूनी वारिसों या बच्चों ने उसके साथ दुर्व्यवहार किया या उसका भरण-पोषण नहीं किया। पिता की अपील खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि सीनियर सिटीजन रूल्स के लिए यह ज़रूरी नहीं है कि सीनियर सिटीजन के साथ उनके बच्चों ने बुरा बर्ताव किया हो या उनका भरण-पोषण न किया हो।
जज ने बेटी की इस दलील को खारिज कर दिया कि पिता प्रॉपर्टी के पहले या दूसरे फ्लोर पर कोई हक न होने के कारण कानूनी तरीका नहीं अपना सकते, और इसे गलत बताया।
यह मानते हुए कि पिता सीनियर सिटीजंस एक्ट 2007 के तहत प्रॉपर्टी के सभी हिस्सों के संबंध में कानूनी तरीका अपनाने से रोके नहीं जा सकते कोर्ट ने विवादित आदेश रद्द कर दिया और बेटी और उसके परिवार को दूसरे फ्लोर खाली करने का निर्देश दिया।
कोर्ट ने कहा,
"इस बीच (जब तक प्रॉपर्टी खाली नहीं हो जाती) प्रतिवादी नंबर 2 से 7 को याचिकाकर्ता के साथ बुरा बर्ताव करने और/या याचिकाकर्ता को किसी भी तरह से परेशान करने से रोका जाता है।"

