दिल्ली हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: पतंजलि को 'धोखा' च्यवनप्राश विज्ञापन प्रसारित करने पर रोक, 72 घंटे में सभी प्लेटफॉर्म से हटाने का आदेश
Amir Ahmad
11 Nov 2025 1:21 PM IST

दिल्ली हाईकोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद को उसके उस विज्ञापन के प्रसारण पर रोक लगाई, जिसमें अन्य सभी च्यवनप्राश उत्पादों को धोखा बताया गया था।
अदालत ने इसे कॉमर्शियल डिस्पैरजमेंट (व्यावसायिक बदनामी) माना और अगले आदेश तक यानी 26 फरवरी 2026 तक विज्ञापन प्रसारण पर रोक जारी रखने का निर्देश दिया।
जस्टिस तेजस कारिया की एकल पीठ ने 6 नवंबर, 2025 को यह आदेश दिया जब डाबर इंडिया लिमिटेड की याचिका पर सुनवाई की जा रही थी।
डाबर ने पतंजलि के स्पेशल च्यवनप्राश विज्ञापन को यह कहते हुए हटाने की मांग की थी कि विज्ञापन पूरे च्यवनप्राश उद्योग को बदनाम करता है।
अदालत ने नोट किया कि विज्ञापन में “चलो, धोखा खाओ!” और “अधिकांश लोग च्यवनप्राश के नाम पर धोखा खा रहे हैं” जैसे वाक्यों का इस्तेमाल किया गया, जो स्पष्ट रूप से यह दर्शाता है कि बाजार में मौजूद अधिकांश च्यवनप्राश उत्पाद नकली या घटिया हैं।
अदालत ने कहा कि ऐसा संदेश न केवल उपभोक्ताओं को गुमराह करता है बल्कि डाबर जैसे उद्योग के अग्रणी ब्रांड को भी प्रत्यक्ष नुकसान पहुंचाता है।
पतंजलि का तर्क था कि 'धोखा' शब्द केवल रचनात्मक अभिव्यक्ति और प्रकाशन के रूप में इस्तेमाल किया गया तथा विज्ञापन को संविधान के अनुच्छेद 19(1)(a) के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का संरक्षण प्राप्त है। लेकिन अदालत इस तर्क से सहमत नहीं हुई।
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा,
“विज्ञापन का उद्देश्य और उसका समग्र प्रभाव अन्य सभी च्यवनप्राश उत्पादों को नकारात्मक रूप से प्रस्तुत करना है। यह पूरे वर्ग को धोखा बताता है, जो एक साधारण, बुद्धिमान और औसत उपभोक्ता के दृष्टिकोण से स्पष्ट रूप से व्यावसायिक बदनामी है।”
अदालत ने टिप्पणी की कि प्रशंसात्मक विज्ञापन की अनुमति है, लेकिन वह झूठा, भ्रामक, अनुचित या धोखाधड़ीपूर्ण नहीं हो सकता। यह भी कहा कि कंपनियाँ अपने उत्पादों को बेहतर बताने के लिए स्वतंत्र हैं लेकिन जैसे ही वे दूसरों की प्रतिष्ठा पर चोट पहुंचाने वाले झूठे या अप्रमाणिक दावे करती हैं, न्यायिक हस्तक्षेप आवश्यक हो जाता है।
अदालत ने डाबर के पक्ष में प्रथम दृष्टया मामला बनते हुए पाया और आदेश दिया कि पतंजलि 72 घंटे के भीतर विज्ञापन को सभी राष्ट्रीय टीवी चैनलों, ओटीटी प्लेटफॉर्म, डिजिटल मीडिया, प्रिंट और सोशल मीडिया अकाउंट्स जैसे यूट्यूब और इंस्टाग्राम से हटा करे या ब्लॉक करे।
साथ ही अदालत ने पतंजलि को भविष्य में ऐसा कोई विज्ञापन प्रसारित न करने का निर्देश दिया, जिसमें च्यवनप्राश को 'धोखा' कहा जाए या उसकी कोई औषधीय उपयोगिता न होने का दावा किया जाए।

