आपराधिक पृष्ठभूमि का कोई खुलासा नहीं: दिल्ली हाईकोर्ट ने IRCTC द्वारा ऑनबोर्ड कैटरिंग सेवा के लिए दिया गया टेंडर किया रद्द
Amir Ahmad
24 April 2025 11:43 AM

दिल्ली हाईकोर्ट ने ट्रेनों में ऑनबोर्ड कैटरिंग सेवाओं के लिए पांच वर्षों के अनुबंध हेतु IRCTC द्वारा एक बोलीदाता को दिया गया टेंडर रद्द कर दिया।
कोर्ट ने पाया कि सफल बोलीदाता ने कोई आपराधिक पृष्ठभूमि या भ्रष्टाचार से संबंधित उल्लंघन का खुलासा नहीं किया, जो कि सार्वजनिक अनुबंधों में निष्पक्षता के सिद्धांत के विरुद्ध है।
चीफ जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने कहा कि सफल बोलीदाता (उत्तरदाता नंबर 2) ने उस इंटीग्रिटी पैक्ट (Integrity Pact) का पालन नहीं किया जो टेंडर दस्तावेजों का हिस्सा था।
कोर्ट ने कहा,
“हमारे मत में उत्तरदाता नंबर 2 को दिया गया पत्र-आवंटन (Letter of Award) उस प्रक्रिया द्वारा प्रदान किया गया, जो टेंडर दस्तावेजों की शर्तों के उल्लंघन में है। विशेषकर जब वह भ्रष्टाचार विरोधी सिद्धांत से जुड़ी विश्वसनीयता और प्रामाणिकता की जांच के कर्तव्य से संबंधित हो। उत्तरदाता नंबर 2 द्वारा आपराधिक पृष्ठभूमि का खुलासा न करने के कारण उत्तरदाता नंबर 1 को इस विश्वसनीयता की जांच करने का अवसर ही नहीं मिला। यह सार्वजनिक टेंडर की निष्पक्षता के सिद्धांत के खिलाफ है।”
याचिका एक साझेदारी फर्म द्वारा दायर की गई, जो कैटरिंग सेवाओं के संचालन में कार्यरत है। याचिकाकर्ता ने IRCTC द्वारा उत्तरदाता नंबर 2 को जारी पत्र-आवंटन को चुनौती दी थी।
IRCTC ने फरवरी 2024 में पांच वर्षों के लिए ट्रेनों में कैटरिंग सेवाओं और बेस किचन संचालन हेतु ई-ओपन टेंडर जारी किया, जिसे दो वर्षों तक और बढ़ाया जा सकता था। उत्तरदाता नंबर 2 ने 56.06 करोड़ की सबसे ऊंची बोली लगाई और उसे टेंडर दे दिया गया।
कोर्ट ने नोट किया कि 'इंटीग्रिटी पैक्ट' का उल्लंघन करने पर टेंडरकर्ता को अयोग्य घोषित किया जा सकता है। सेक्शन 2(g) के तहत बोलीदाताओं को अन्य कंपनियों से हुए किसी भी प्रकार के भ्रष्टाचार-संबंधी उल्लंघनों का खुलासा करना आवश्यक है।
सेक्शन 3 के अनुसार IRCTC को यह अधिकार है कि वह ऐसे किसी भी उल्लंघन की स्थिति में बोलीदाता को न केवल वर्तमान टेंडर से बल्कि भविष्य के अनुबंधों से भी बाहर कर सके।
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सिर्फ पिछले तीन वर्षों तक सीमित ना रहते हुए सभी प्रकार के उल्लंघनों का खुलासा करना आवश्यक है, जिससे IRCTC यह तय कर सके कि बोलीदाता की विश्वसनीयता पर कोई सवाल तो नहीं है।
कोर्ट ने कहा,
“हमारी राय में यह बोलीदाता की जिम्मेदारी थी कि वह ऐसे सभी उल्लंघनों का खुलासा करे, भले ही वे किसी भी समय पर हुए हों।”
परंतु उत्तरदाता नंबर 2 ने अपने टेंडर में कोई भी आपराधिक पृष्ठभूमि या उल्लंघन का उल्लेख नहीं किया। परिणामस्वरूप, IRCTC यह तय ही नहीं कर सका कि उसकी विश्वसनीयता संदेहास्पद है या नहीं।
इस प्रकार, कोर्ट ने माना कि यह पत्र-आवंटन टेंडर शर्तों के उल्लंघन के कारण अमान्य है और यह निष्पक्षता के सिद्धांत के विपरीत है।
न्यायालय ने आदेश दिया,
उत्तरदाता नंबर 2 को दिया गया टेंडर रद्द किया जाता है। साथ ही IRCTC को नया टेंडर प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया गया। तब तक जब तक नया टेंडर आवंटित नहीं होता, उत्तरदाता नंबर 2 को कार्य जारी रखने की अनुमति दी गई।
केस टाइटल: एम/एस दीपक एंड कंपनी, पूनम पोर्वाल के माध्यम से बनाम IRCTC (W.P.(C) 6460/2024)