S.450 BNSS| मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत किसी मामले को स्वतः संज्ञान से या किसी आवेदन पर ट्रांसफर नहीं कर सकती: दिल्ली हाईकोर्ट

Amir Ahmad

18 March 2025 6:31 AM

  • S.450 BNSS| मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत किसी मामले को स्वतः संज्ञान से या किसी आवेदन पर ट्रांसफर नहीं कर सकती: दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत किसी मामले को स्वतः संज्ञान से या उस संबंध में आवेदन किए जाने पर एक अदालत से दूसरी अदालत में स्थानांतरित नहीं कर सकती।

    जस्टिस दिनेश कुमार शर्मा ने कहा,

    CrPC की धारा 410 और BNSS की धारा 450 के तहत मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट को दी गई शक्ति केवल प्रशासनिक प्रकृति की। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत किसी मामले को एक अदालत से दूसरी अदालत में स्थानांतरित नहीं कर सकती है, चाहे आवेदन किए जाने पर या स्वतः संज्ञान से।”

    न्यायालय ने आगे कहा कि अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत अपने अधिकार क्षेत्र में एक अदालत से दूसरी अदालत में मामले को ट्रांसफर करने की प्रशासनिक शक्ति का प्रयोग तब तक नहीं कर सकती, जब तक कि हाईकोर्ट द्वारा BNSS 2023 की धारा 10(2) के तहत कोई आदेश पारित न किया जाए।

    न्यायालय एक व्यक्ति द्वारा दायर याचिका पर विचार कर रहा था, जिसमें ACMM द्वारा वैवाहिक विवाद में शिकायत मामले को एक MM से दूसरे MM में ट्रांसफर करने के आदेश को चुनौती दी गई, जिसमें पक्षों के बीच एक और मामला लंबित था। स्थानांतरण आवेदन याचिकाकर्ता के ससुर द्वारा दिया गया।

    याचिकाकर्ता का मामला यह था कि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 410 के तहत मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट या अतिरिक्त मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट को अपने अधिकार क्षेत्र में आपराधिक अदालत से दूसरी आपराधिक अदालत में मामले को ट्रांसफर करने का कोई अधिकार नहीं है।

    जस्टिस शर्मा ने कहा कि चूंकि विधायिका ने अपने विवेक से ट्रांसफर की शक्ति केवल सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट और सेशन कोर्ट को प्रदान की है, इसलिए इसे मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत को अनुमान के तौर पर नहीं दिया जा सकता।

    न्यायालय ने कहा,

    "विधानसभा मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट को विशेष रूप से ट्रांसफर की शक्ति दे सकती थी, यदि वह ऐसा करना उचित समझती।"

    ऐसा कहते हुए न्यायालय ने कर्नाटक हाईकोर्ट द्वारा रेडिकल वर्क्स प्राइवेट लिमिटेड बनाम पद्मनाभ टी.जी., मध्य प्रदेश हाईकोर्ट द्वारा ए.के. सिंह, विशेष रेलवे मजिस्ट्रेट, जबलपुर बनाम वीरेंद्र कुमार जैन और गुजरात हाईकोर्ट द्वारा चंद्रकांतभाई भाईचंदभाई शर्मा बनाम गुजरात राज्य एवं अन्य में दिए गए निर्णयों से सहमति जताई।

    याचिका का निपटारा करते हुए न्यायालय ने याचिकाकर्ता के ससुर को निर्देश दिया कि वह मामले को प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत में स्थानांतरित करने के लिए आवेदन करें, जो कानून के अनुसार हाईकोर्ट के आदेश से प्रभावित हुए बिना अपने अधिकार क्षेत्र का प्रयोग कर सकते हैं।

    न्यायालय ने कहा,

    "आदेश की कॉपी उचित कार्रवाई के लिए महापंजीयक को भेजी जाए और माननीय चीफ जस्टिस के निर्देशों के अधीन न्यायिक अधिकारियों को निर्णय की प्रति प्रसारित की जाए।"

    इस मामले में वकील कन्हैया सिंघल को एमिकस क्यूरी नियुक्त किया गया।

    टाइटल: सुदेश छिकारा बनाम राज्य (दिल्ली सरकार) और अन्य

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