HIV पॉजिटिव पाए जाने पर CAPF कर्मियों की सेवा समाप्त करना भेदभावपूर्ण: दिल्ली हाईकोर्ट

Amir Ahmad

29 March 2025 6:26 AM

  • HIV पॉजिटिव पाए जाने पर CAPF कर्मियों की सेवा समाप्त करना भेदभावपूर्ण: दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट ने माना कि HIV पॉजिटिव पाए जाने के आधार पर केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) कर्मियों की सेवा समाप्त करना भेदभावपूर्ण है और HIV Act के तहत निषिद्ध है।

    जस्टिस नवीन चावला और जस्टिस शालिंदर कौर की खंडपीठ ने कहा कि HIV से पीड़ित व्यक्तियों को उचित सुविधा प्रदान करना अधिकारियों का कानूनी दायित्व है।

    न्यायालय ने कहा,

    “हम इस तथ्य से अवगत हैं कि ये मेडिकल मानक उन कर्मियों पर लागू हो सकते हैं, जिन्हें पहले ही सेवा में पुष्टि की जा चुकी है। HIV Act की धारा 3 के अधिदेश को ध्यान में रखते हुए वही समान रूप से उस व्यक्ति पर भी लागू होना चाहिए, जिसे नियुक्ति का प्रस्ताव दिया गया, लेकिन उसकी परिवीक्षा अवधि के दौरान HIV पॉजिटिव पाया गया।”

    न्यायालय ने कहा,

    “केवल HIV पॉजिटिव पाए जाने के आधार पर ऐसे कर्मियों की सेवा समाप्त करना भेदभाव होगा, जो HIV Act की धारा 3 के तहत निषिद्ध है।”

    न्यायालय ने तीन CAPF कर्मियों को राहत प्रदान की, जिन्हें पदोन्नति और नियुक्ति से वंचित कर दिया गया, क्योंकि वे HIV से पीड़ित पाए गए थे और उन्हें शेप-I मेडिकल कैटेगरी में नहीं रखा गया था। न्यायालय ने कहा कि यद्यपि 2008 में जारी किए गए कार्यालय ज्ञापन के अनुसार पदोन्नति के लिए कर्मियों को शेप-I मेडिकल कैटेगरी में होना आवश्यक है लेकिन उक्त प्रावधान को HIV Act और उसके उद्देश्यों के अनुरूप पढ़ा जाना चाहिए।

    न्यायालय ने कहा,

    "HIV Act के उद्देश्यों और भेदभाव के विरुद्ध इसके निषेध को प्रभावी बनाने के लिए 18.11.2008 के कार्यालय ज्ञापन के पैरा 4.13 को HIV पॉजिटिव कर्मियों के संबंध में संकीर्ण अर्थ में पढ़ा जाना चाहिए। प्रतिवादियों पर यह दिखाने का दायित्व डाला गया कि पदोन्नति दिए जाने पर ऐसे व्यक्ति को किसी अन्य कार्य में समायोजित नहीं किया जा सकेगा।"

    इसमें कहा गया कि जब HIV कर्मियों की मेडिकल स्थिति केवल कर्तव्य के निष्पादन के लिए उनकी नियुक्ति तक सीमित हो जाती है तो इसे ओ.एम. के प्रयोजनों के लिए शेप-1 माना जाना चाहिए। उन्हें केवल इसलिए पदोन्नति से वंचित नहीं किया जा सकता, क्योंकि तकनीकी रूप से वे शेप-1 मेडिकल कैटेगरी में नहीं हैं, क्योंकि वे HIV से पीड़ित हैं।

    न्यायालय ने कहा कि अन्यथा निर्णय लेने से HIV Act के तहत दी गई सुरक्षा को नकार दिया जाएगा।

    जिन याचिकाकर्ताओं को पदोन्नति से वंचित किया गया, उनके संबंध में पीठ ने निष्कर्ष निकाला कि अधिकारियों द्वारा आठ सप्ताह के भीतर गठित की जाने वाली समीक्षा डीपीसी द्वारा उन पर पुनर्विचार किया जाएगा। यदि वे पदोन्नति के लिए उपयुक्त पाए जाते हैं तो परिणामी आदेश पारित किए जाएंगे।

    इसमें कहा गया कि ऐसे मामले में याचिकाकर्ता पदोन्नति से वंचित किए जाने की तिथि से काल्पनिक सीनियरिटी और अन्य परिणामी लाभों के भी हकदार होंगे।

    जिस याचिकाकर्ता को नियुक्ति से वंचित किया गया, उसके संबंध में न्यायालय ने कहा कि HIV पॉजिटिव कर्मियों पर लागू मेडिकल दिशानिर्देशों को ध्यान में रखते हुए उनकी मेडिकल स्थिति का पुनर्मूल्यांकन किया जाएगा और उन्हें सेवा में बनाए रखने या हटाने के संबंध में नए सिरे से निर्णय लिया जाएगा।

    केस टाइटल: होशियार सिंह बनाम भारत संघ एवं अन्य तथा अन्य संबंधित मामले

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