व्यभिचारी तलाक याचिका के लिए आवश्यक पक्ष नहीं, उसकी अनुपस्थिति में भी डिक्री पारित की जा सकती है: दिल्ली हाईकोर्ट

Amir Ahmad

31 July 2024 7:34 AM GMT

  • व्यभिचारी तलाक याचिका के लिए आवश्यक पक्ष नहीं, उसकी अनुपस्थिति में भी डिक्री पारित की जा सकती है: दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में फैसला सुनाया कि कथित व्यभिचारी (अडल्ट्रर) जो तीसरा पक्ष है और जिसका पति या पत्नी के साथ संबंध होने का संदेह है, तलाक याचिका के लिए आवश्यक पक्ष नहीं है।

    जस्टिस राजीव शकधर और जस्टिस अमित बंसल की खंडपीठ ने कहा कि ऐसे व्यक्ति की अनुपस्थिति में भी डिक्री पारित की जा सकती है।

    अदालत ने कहा,

    “इसी तरह व्यभिचारी उचित पक्ष नहीं है, क्योंकि अडल्ट्री से संबंधित मुद्दे पर व्यभिचारी को पक्ष बनाए बिना भी निर्णय लिया जा सकता है। व्यभिचार के सबूत को इस बात से जोड़ने की जरूरत नहीं है कि तलाक की कार्रवाई में किसे पक्ष बनाया जाना चाहिए।

    इसमें कहा गया कि तलाक की कार्रवाई उस जोड़े के इर्द-गिर्द केंद्रित होती है, जो विवाह में प्रवेश कर चुके होते हैं। इस प्रकार, कोई तीसरा पक्ष, जो पति या पत्नी की स्थिति का दावा नहीं करता है, ऐसे मामले में हस्तक्षेप करने या अभियोग लगाने का अधिकार नहीं रखता है।

    खंडपीठ ने यह टिप्पणियां पत्नी द्वारा दायर अपील खारिज करते हुए कीं, जिसमें सिविल प्रक्रिया संहिता 1908 के आदेश VII नियम 11 के तहत दायर उसका आवेदन खारिज करने वाले फैमिली कोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई।

    पति द्वारा पत्नी के खिलाफ क्रूरता अडल्ट्री और परित्याग के आधार पर तलाक की याचिका दायर की गई।

    उसका मामला यह था कि जिस व्यक्ति के साथ उसका कथित रूप से व्यभिचारी संबंध था, वह पक्षकार नहीं है, इसलिए शिकायत खारिज किए जाने योग्य है। फैमिली कोर्ट के जज ने माना कि तलाक की याचिका को केवल इस आधार पर खारिज नहीं किया जा सकता कि जिस व्यक्ति के साथ उसका कथित रूप से व्यभिचारी संबंध था, उसे तलाक की याचिका में पक्षकार नहीं बनाया गया।

    अपील खारिज करते हुए न्यायालय ने कहा,

    "हमारे विचार में भले ही फैमिली कोर्ट जज द्वारा इस मामले में दिया गया निष्कर्ष सही है यानी कि तलाक की याचिका को आंशिक रूप से खारिज नहीं किया जा सकता, लेकिन तलाक की याचिका में तीसरे पक्ष को शामिल करना न तो उचित है और न ही आवश्यक। आवश्यक पक्ष वह है, जिसकी अनुपस्थिति में कोई प्रभावी डिक्री पारित नहीं की जा सकती है, जबकि उचित पक्ष किसी दिए गए लिस में शामिल मुद्दों के पूर्ण और अंतिम निर्णय को सक्षम बनाता है।"

    खंडपीठ ने कहा कि कथित व्यभिचारी तीसरा पक्ष होने के नाते, या तो गवाह के रूप में बुलाया जा सकता है या व्यभिचार साबित करने के लिए फैमिली कोर्ट के समक्ष अन्य सबूत पेश किए जा सकते हैं।

    इस मामले में हम अपीलकर्ता/पत्नी के वकील से सहमत नहीं हैं।

    खंडपीठ ने निष्कर्ष निकाला कि इस तथ्य को देखते हुए कि क्रूरता से संबंधित आरोप तलाक की कार्रवाई में अंतर्निहित थे, सीपीसी के आदेश VII नियम 11 के तहत आवेदन किए जाने पर पति की याचिका को टुकड़ों में खारिज नहीं किया जा सकता।

    केस टाइटल- एक्स बनाम वाई

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