जिला आयोग, उत्तरी चेन्नई ने होटल पार्किंग से हुई कार की चोरी के लिए होटल प्रबंधन को जिम्मेदार ठहराया

Praveen Mishra

21 Dec 2023 10:45 AM GMT

  • जिला आयोग, उत्तरी चेन्नई ने होटल पार्किंग से हुई कार की चोरी के लिए होटल प्रबंधन को जिम्मेदार ठहराया

    जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग, उत्तरी चेन्नई (तमिलनाडु) के अध्याक्ष जी. विनोबा, वी. राममूर्ति (सदस्य) और वी. राममूर्ति (सदस्य) ने डेक्कन पार्क होटल को सेवा में कमी और वैलेट पार्किंग सेवाएं प्रदान करने में उचित देखभाल करने में विफलता के लिए जिम्मेदार ठहराया, जिसके कारण होटल की पार्किंग से वाहनों की चोरी हुई। जिला आयोग ने कहा कि होटल की ज़िम्मेदारी केवल कार को पार्क करवाना नहीं है बल्कि उसकी देखभाल करना भी है।आयोग ने होटल को शिकायतकर्ता को 55,000 रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया।

    पूरा मामला:

    शिकायतकर्ता श्री पी दिलीप कुमार एक मीटिंग के लिए डेक्कन पार्क होटल में गए। उन्होंने अपनी कार की चाबी वैलेट पार्किंग ड्राइवर को सौंप दी और उन्हे एक वैलेट पार्किंग टैग दिया गया। इसके बाद, शिकायतकर्ता मीटिंग हाल में चले गए, डिनर के बाद होटल के सुरक्षाकर्मियों को वैलेट टैग देने के बाद उन्हें बताया गया कि उनकी कार होटल परिसर से गायब है। 'इन एंड आउट' रजिस्टर चेक करने पर पता चला कि कार कुछ समय पहले ही होटल से निकली है।

    शिकायतकर्ता के तमाम प्रयासों के बावजूद, होटल के किसी भी कर्मचारी ने वाहन को बरामद करने में कोई सहायता नहीं की। नतीजतन, शिकायतकर्ता ने पुलिस से संपर्क किया और प्राथमिकी दर्ज की। बाद में, शिकायतकर्ता को पुलिस स्टेशन द्वारा सूचित किया गया कि उसका वाहन एक दुर्घटना के कारण उनके कब्जे में है, जिससे कार को काफी नुकसान हुआ। इसके अलावा, यह कहा गया कि शिकायतकर्ता का वाहन एक अन्य कार से टकरा गया था और शिकायतकर्ता के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। इसके बाद, शिकायतकर्ता ने होटल के खिलाफ जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग, उत्तरी चेन्नई में उपभोक्ता शिकायत दर्ज की।

    जवाब में, होटल ने तर्क दिया कि शिकायतकर्ता का वाहन एक व्यक्ति द्वारा चुराया गया था जिसने नकली टैग का इस्तेमाल किया था। इसके साथ होटल ने कहा कि उनकी सेवाओं में कोई कमी नहीं थी, क्योंकि चोर ने कर्मचारियों को कार सौंपने में धोखा देने के लिए एक नकली टैग का इस्तेमाल किया। तथा यह भी कहा गया की होटल पार्किंग कर्मचारियों ने सारे रेकॉर्ड्स को सही तरीके से तैयार किया था। इसके अलावा, यह भी तर्क दिया गया कि, वाहन का पता लगाने के बावजूद, शिकायतकर्ता वाहन चोरी करने वाले असली अपराधी के खिलाफ शिकायत दर्ज नहीं करवाया।

    आयोग की टिप्पणियां:

    सबूतों की समीक्षा करने के बाद, जिला आयोग ने कहा कि होटल के सीसीटीवी लगाने के दावे के बावजूद, यह स्पष्ट था कि चार्ल्स नाम के एक व्यक्ति ने विभिन्न होटलों से कारें चुराई थीं। जिला आयोग ने माना कि यह होटल के कर्मचारियों की ओर से लापरवाही की गई जिसके कारण कार की चोरी हुई।

    इसके अलावा, जिला आयोग ने कहा कि होटल के प्रबंधक ने स्वीकार किया कि कर्मचारियों ने चोर के द्वारा दिखाये गए वैलेट टैग को देखा और इसे असली मानते हुए, उसको कार सौंप दिया।

    जिला आयोग ने कहा कि होटल प्रबंधन को अन्य इस तरह की घटनाओं के बारे में पता होने के बावजूद, होटल ने उचित देखभाल के बिना लापरवाही से काम किया, जिससे शिकायतकर्ता की कार चोरी हुई। इस संबंध में जिला आयोग ने ताजमहल होटल बनाम यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी और 2 अन्य मामले में राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के फैसले का हवाला दिया जिसमें यह माना गया था कि होटलों द्वारा दी जाने वाली वैलेट पार्किंग सेवाएं उनके मेहमानों की सुविधा के लिए एक विशेष विशेषाधिकार हैं। इस संबंध में, जिला आयोग ने माना कि होटल की देखभाल का कर्तव्य केवल कार को पार्क करने तक हि नहीं है बल्कि उसकी देखभाल करने की ज़िम्मेदारी भी है। जिला आयोग ने इस दलील को खारिज कर दिया कि अलग पार्किंग शुल्क की अनुपस्थिति धारा 2 (1) (डी) के तहत "उपभोक्ता" होने के विचार पहलू को नकारती है। यह स्वीकार किया गया कि वैलेट पार्किंग होटलों द्वारा अपने मेहमानों के सुविधा को बढ़ाने के लिए प्रदान की जाने वाली एक सेवा है, जो ग्राहकों के लिए एक होटल को दूसरे पर चुनने के लिए एक महत्वपूर्ण आकर्षण के रूप में कार्य करती है। इसके अलावा, जिला आयोग ने कहा कि शिकायतकर्ता एक उपभोक्ता है क्योंकि उसने होटल के अंदर रात का खाना खाया था।

    नतीजतन, जिला आयोग ने होटल के प्रबंधक को कर्मचारियों द्वारा किए गए कार्यों के लिए उत्तरदायी ठहराया और प्रबंधक को सेवा में कमी और मानसिक पीड़ा और उत्पीड़न के लिए शिकायतकर्ता को मुआवजे के रूप में 50,000 रुपये की राशि का भुगतान करने का निर्देश दिया। अदालत ने प्रबंधक को शिकायतकर्ता को मुकदमे की लागत के लिए 5,000 रुपये का भुगतान करने का भी आदेश दिया।

    केस टाइटल: पी दिलीप कुमार बनाम डेक्कन पार्क प्राइवेट लिमिटेड

    केस नंबर: सी.सी. नंबर 228/2018

    शिकायतकर्ता के वकील: के. लवन और सी. अभिषेक

    प्रतिवादी के वकील: चिनास्वामी

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