दया नियुक्ति एक बार मिलने वाला लाभ, आपत्ति के साथ स्वीकार करने पर भी पदोन्नति का दावा मान्य नहीं: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट
Amir Ahmad
1 May 2025 3:33 PM IST

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने कहा कि दया (सहानुभूति) के आधार पर दी गई नियुक्ति एक बार मिलने वाला विशेष लाभ है। यदि आवेदक इसे आपत्ति दर्ज कराते हुए भी स्वीकार कर लेता है तो वह भविष्य में किसी उच्च पद या पदोन्नति की मांग नहीं कर सकता।
जस्टिस राकेश मोहन पांडे की एकल पीठ ने एक माली (Gardener) की याचिका को खारिज करते हुए कहा,
"दया नियुक्ति की योजना पदों की उपलब्धता, प्रशासनिक विवेक और अन्य प्रक्रियात्मक आवश्यकताओं की पूर्ति पर निर्भर करती है। याचिकाकर्ता को भले ही ड्राइवर के पद के लिए अनुशंसा की गई हो लेकिन उसे माली के पद पर नियुक्त किया गया था। याचिकाकर्ता ने विरोध के बावजूद 14.09.2020 को माली के पद पर कार्यभार ग्रहण कर लिया। एक बार जब नियुक्ति Even Under Protest स्वीकार कर ली जाती है तो यह एकमुश्त लाभ के उपयोग के रूप में माना जाता है और आगे किसी उच्च पद की मांग कानूनी रूप से स्वीकार्य नहीं है।"
मामले की पृष्ठभूमि:
याचिकाकर्ता ने अपने पिता की मृत्यु के बाद दया नियुक्ति के लिए आवेदन किया, जो लोक निर्माण विभाग में चौकीदार थे। प्रक्रिया के बाद याचिकाकर्ता को माली (कक्षा-4) के पद पर नियुक्ति पत्र मिला, जिसे पहले उसने अस्वीकार कर दिया।
बाद में उसे ड्राइवर (कक्षा-3) पद के लिए भी अनुशंसा मिली, लेकिन उस पर नियुक्ति नहीं दी गई। अंततः उसने माली के पद को स्वीकार कर लिया और फिर इस आदेश को याचिका के माध्यम से चुनौती दी।
याचिकाकर्ता का कहना था कि वह शैक्षणिक रूप से ड्राइवर पद के लिए योग्य था, इसलिए उसे वही नियुक्ति मिलनी चाहिए थी।
प्रशासन की ओर से जवाब में सुप्रीम कोर्ट के फैसलों अनुसुइया ओटी बनाम छत्तीसगढ़ राज्य और आईजी (कार्मिक) बनाम प्रह्लाद मणि त्रिपाठी का हवाला दिया गया, जिसमें यह स्पष्ट किया गया कि एक बार नियुक्ति स्वीकार करने के बाद भले ही आपत्ति के साथ फिर से पदोन्नति या बदलाव की मांग नहीं की जा सकती।
न्यायालय के निष्कर्ष:
अदालत ने स्पष्ट किया कि दया नियुक्ति कोई अधिकार नहीं बल्कि एक प्रशासनिक सुविधा है, जो दिवंगत कर्मचारी के परिजनों की तत्काल आर्थिक संकट को ध्यान में रखते हुए दी जाती है। इसे सामान्य भर्ती प्रक्रिया का विकल्प नहीं माना जा सकता और न ही इसके तहत उच्च पद की मांग की जा सकती है।
इन तथ्यों को ध्यान में रखते हुए हाईकोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।
टाइटल: अभिनय दास माणिकपुरी बनाम छत्तीसगढ़ राज्य

