पति को पालतू चूहा कहना और माता-पिता से दूर रहने के लिए मजबूर करना क्रूरता: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने तलाक बरकरार रखी

Amir Ahmad

26 Sept 2025 1:52 PM IST

  • पति को पालतू चूहा कहना और माता-पिता से दूर रहने के लिए मजबूर करना क्रूरता: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने तलाक बरकरार रखी

    छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट का फैसला बरकरार रखा, जिसमें एक पति को तलाक दिया गया था, क्योंकि उसकी पत्नी ने उसे पालतू चूहा कहा और लगातार यह दबाव बनाया कि वह अपने माता-पिता को छोड़कर केवल उनके साथ रहे।

    मामले में अपीलकर्ता पत्नी ने पति को छोड़ दिया था और फैमिली कोर्ट ने पति की तलाक की याचिका स्वीकार की।

    जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस अमितेंद्र किशोर प्रसाद की डिविजन बेंच ने कहा,

    “प्रतिवादी और उसके परिवार के मौखिक बयान, जबरदस्ती और अपीलकर्ता द्वारा की गई आलोचनाएं सीधे तौर पर क्रूरता की कानूनी परिभाषा में आती हैं। अपीलकर्ता द्वारा पूछताछ में किए गए अपने स्वीकारोक्तियां, जिसमें उसने अपने परित्याग की पुष्टि की प्रतिवादी के पक्ष को और मजबूत करती हैं। अतः यह अपील विफल होनी चाहिए। पति ने क्रूरता और परित्याग के आधार पर तलाक का दावा साबित किया और पत्नी ने वैवाहिक अधिकारों की बहाली के लिए अपना दावा सिद्ध नहीं किया।”

    कोर्ट ने अपीलकर्ता पत्नी के उस संदेश को भी नोट किया, जिसमें उसने लिखा था,

    “अगर आप अपने माता-पिता को छोड़कर मेरे साथ रहना चाहते हैं तो जवाब दें अन्यथा मत पूछो।”

    डिविजन बेंच ने कहा,

    “हालांकि यह संदेश शर्तीय है, यह स्पष्ट करता है कि उसने पति से उसके माता-पिता को छोड़ने की लगातार मांग की। यह व्यवहार निर्दोष नहीं माना जा सकता और मानसिक क्रूरता को रेखांकित करता है। विशेषकर भारतीय संयुक्त परिवार की परंपराओं में, जहां पति को उसके माता-पिता से दूर रहने के लिए मजबूर करना क्रूरता माना जाता है।”

    मामले की पृष्ठभूमि

    अपीलकर्ता पत्नी और पति का विवाह 2009 में हुआ और दंपती का एक बेटा है। पति ने क्रूरता और परित्याग के आधार पर विवाह विच्छेद की याचिका दायर की। याचिका में यह दावा किया गया कि पत्नी लगातार पति को उसके माता-पिता के खिलाफ भड़काती रही और उनसे अलग रहने का दबाव डालती रही। इसके अलावा, पत्नी ने उसे पालतू चूहा कहा। बच्चे के जन्म के बाद पत्नी अपने माता-पिता के घर चली गई और फिर कभी वापस नहीं आई।

    पत्नी ने सभी आरोपों का खंडन करते हुए दावा किया कि पति ने उसे भावनात्मक और आर्थिक रूप से अनदेखा किया। फैमिली कोर्ट ने 2019 में तलाक का आदेश दिया था।

    कोर्ट के निष्कर्ष:

    कोर्ट ने पाया कि अपीलकर्ता पत्नी ने अपने माता-पिता के घर में लंबी अवधि तक रहने का ठोस कारण नहीं दिया। प्रतिवादी के प्रमाण, जो अधिकतर अचुनौतीपूर्ण थे, यह साबित करते हैं कि पत्नी ने 21 अप्रैल 2016 तक लगातार पति को परित्याग किया, जो कि परित्याग की कानूनी परिभाषा के अंतर्गत आता है।

    हालांकि, कोर्ट ने फैमिली कोर्ट के निर्णय की पुष्टि करते हुए निर्देश दिया कि पति अपनी 12 वर्षीय पुत्र की देखभाल के मद्देनजर पत्नी को 5,00,000 रुपये भरण-पोषण राशि के रूप में भुगतान करें। अपील खारिज कर दी गई।

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