प्रश्नपत्र लीक करने में मदद करना हत्या से भी अधिक जघन्य: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने पूर्व PSC अध्यक्ष को जमानत देने से किया इनकार
Amir Ahmad
23 April 2025 6:40 AM

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने राज्य लोक सेवा आयोग (PSC) के पूर्व अध्यक्ष को जमानत देने से इनकार किया, जिन पर राज्य सेवा परीक्षा का प्रश्नपत्र लीक करने और अपने परिवार के सदस्यों को अनुचित लाभ पहुंचाने का आरोप है।
जस्टिस बिभु दत्ता गुरु ने जमानत याचिका खारिज करते हुए प्रश्नपत्र लीक की कड़ी निंदा की और टिप्पणी की,
"जो व्यक्ति प्रतियोगी परीक्षाओं से संबंधित प्रश्नपत्र लीक करने में मदद करता है, वह लाखों युवा उम्मीदवारों के करियर और भविष्य के साथ खिलवाड़ करता है, जो प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए रात-रात भर मेहनत कर रहे हैं। ऐसा कृत्य हत्या के अपराध से भी अधिक जघन्य है, क्योंकि एक व्यक्ति की हत्या करने से केवल एक परिवार प्रभावित होता है लेकिन लाखों उम्मीदवारों का करियर बर्बाद करने से पूरा समाज प्रतिकूल रूप से प्रभावित होता है। इसलिए वर्तमान आवेदक सहित आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ लगाए गए कथित आरोपों को किसी भी तरह से सामान्य आरोप नहीं कहा जा सकता। आरोपी व्यक्ति की हरकत 'फसल को बाड़ खाने' का स्पष्ट उदाहरण है।"
मामले की पृष्ठभूमि
यह मामला छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (PSC) के पूर्व अध्यक्ष तमन सिंह सोनवानी द्वारा दायर जमानत याचिका के संबंधित है, जिन पर आईपीसी की धारा 120बी (आपराधिक साजिश) और 420 (धोखाधड़ी) तथा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7, 7(ए) और 12 के तहत आरोप लगाया गया। आरोप यह था कि सोनवानी ने PSC के अन्य अधिकारियों के साथ मिलकर अपने-अपने परिवार के सदस्यों को अनुचित लाभ पहुंचाया।
अभियोजन पक्ष का मामला यह था कि याचिकाकर्ता ने PSC के अन्य अधिकारियों के साथ मिलकर PSC परीक्षा के प्रश्नपत्र अपने-अपने परिवार के सदस्यों और अन्य आरोपियों को लीक किए, जिन्होंने बाद में परीक्षा पास की और डिप्टी कलेक्टर तथा पुलिस उपाधीक्षक जैसे महत्वपूर्ण पदों पर चयनित हुए। अभियोजन पक्ष ने आरोपी 2 जिस पर लीक हुए प्रश्नपत्र का पहला प्राप्तकर्ता होने का आरोप है, द्वारा ग्रामीण विकास समिति (GVS) को 45 लाख रुपये की राशि हस्तांतरित करने का भी रिकॉर्ड में उल्लेख किया, जिसकी अध्यक्ष याचिकाकर्ता की पत्नी है।
आवेदक ने तर्क दिया कि वह न तो प्रश्नपत्र तैयार करने की प्रक्रिया में शामिल था और न ही परीक्षा प्रक्रिया में उसकी कोई भूमिका थी। इसके अतिरिक्त, यह तर्क दिया गया कि जिस प्रिंटर ने परीक्षा के प्रश्नपत्रों को प्रिंट किया और गैर-कर्मचारियों के माध्यम से उन्हें PSC कार्यालय भेजा था, उसे आरोपी नहीं बनाया गया। यह भी तर्क दिया गया कि PSC के नियंत्रक के सुरक्षा गार्ड का बयान जिसे विजिटिंग रजिस्टर में कोई प्रविष्टि नहीं करने का निर्देश दिया गया, दर्ज नहीं किया गया।
यहां तक कि परीक्षा नियंत्रक, जिसे प्रश्नपत्र सौंपे गए, उनको भी आरोपी नहीं बनाया गया। इसके विपरीत, प्रतिवादी (CBI) ने प्रस्तुत किया कि याचिकाकर्ता ही किंगपिन था, जिसने पूरे पेपर लीक को अंजाम दिया और PSC के अध्यक्ष के रूप में उसने अधिकारियों को तदनुसार निर्देश दिया। यह तर्क दिया गया कि याचिकाकर्ता के भाई, GVS के सचिव ने स्पष्ट रूप से कहा था कि अभियुक्त 5 और 6, जो याचिकाकर्ता के भतीजे हैं, उनके लिए लाए गए प्रश्नपत्र, अभियुक्त 7 द्वारा याचिकाकर्ता के निर्देश पर अभियुक्त 2 को अभियुक्त 3 और 4 को आगे साझा करने के लिए प्रदान किए गए।
याचिकाकर्ता के भाई ने कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व के मद में बरजंग इस्पात लिमिटेड से क्रमशः 02/03/2022 और 18/05/2022 को 20 लाख रुपये और 25 लाख रुपये के भुगतान की रसीद को स्पष्ट रूप से स्वीकार किया।
न्यायालय ने नोट किया कि GVS के नाम पर वित्तीय सहायता ली गई और उसके बाद PSC की प्रारंभिक और अंतिम परीक्षा से पहले याचिकाकर्ता के परिवार के सदस्यों को दी गई। उक्त वित्तीय सहायता के लिए याचिकाकर्ता के निर्देश पर अभियुक्त 7 ने अभियुक्त 2 को प्रश्नपत्र लीक किए और परीक्षा में बैठने वाले अन्य अभियुक्तों को भी प्रदान किए।
अपराध की गंभीरता और इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि अपराध में कथित रूप से शामिल अन्य व्यक्तियों के संबंध में जांच अभी भी लंबित है, न्यायालय ने आवेदक को जमानत देने से इनकार कर दिया।
केस टाइटल: तमन् सिंह सोनवानी बनाम केंद्रीय जांच ब्यूरो सीबीआई, भ्रष्टाचार निरोधक शाखा रायपुर, जिला- रायपुर (छ.ग.)