छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने शराब घोटाले में चैतन्य बघेल को अग्रिम जमानत देने से किया इनकार
Amir Ahmad
25 Sept 2025 12:09 PM IST

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पुत्र चैतन्य बघेल को 2161 करोड़ रुपये के कथित शराब घोटाले मामले में अग्रिम जमानत देने से इनकार किया।
जस्टिस अरविंद कुमार वर्मा की सिंगल बेंच ने यह आदेश पारित किया।
आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) ने 2019 से 2023 के बीच हुए इस कथित घोटाले में FIR दर्ज की थी। बघेल के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 7 (लोक सेवक को रिश्वत देने का अपराध) और धारा 12 (अपराध में सहायता का दंड) के अलावा भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 420 (धोखाधड़ी), 467 (कीमती सुरक्षा दस्तावेज की जालसाजी), 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी), 471 (जाली दस्तावेज का वास्तविक के रूप में प्रयोग) और 120-बी (आपराधिक साजिश) के तहत अपराध पंजीबद्ध किए गए थे। इससे पहले रायपुर के एडिशनल सेशन जज ने भी उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी।
मामले की पृष्ठभूमि
जुलाई, 2023 में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गोपनीय रिपोर्ट तैयार की, जिसमें आरोप लगाया गया कि कुछ सरकारी अधिकारी, देशी शराब डिस्टिलरी मालिकों और आबकारी विभाग के अधिकारियों के साथ मिलकर शराब की बिक्री में अवैध कमीशन वसूली के जरिये करोड़ों रुपये का मुनाफा कमा रहे थे। यह घोटाला 2019 से 2023 के बीच लगभग 2161 करोड़ रुपये का बताया गया।
रिपोर्ट में कहा गया कि सरकारी शराब दुकानों के समानांतर एक नया सिंडिकेट सिस्टम बनाया गया, जिसके तहत डिस्टिलरी मालिकों को बिना रिकॉर्ड शराब उत्पादन करने, नकली होलोग्राम लगाने और उसे सरकारी दुकानों के माध्यम से बेचने के लिए मजबूर किया गया। आरोप है कि चैतन्य बघेल इस सिंडिकेट के शीर्ष नेताओं में से एक थे और घोटाले से अर्जित राशि का हिसाब-किताब संभालते थे। बताया गया कि उन्होंने लक्ष्मीनारायण बंसल की मदद से करीब 1000 करोड़ रुपये की हेराफेरी की।
इसी मामले में ED ने भी मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (PMLA) के तहत मामला दर्ज किया और 18 जुलाई, 2025 को बघेल को गिरफ्तार किया। ED ने गिरफ्तारी के आधार में कहा कि आरोपी जांच में सहयोग नहीं कर रहे थे, तथ्यों को छिपा रहे थे और गवाहों को प्रभावित करने का प्रयास कर सकते थे।
चैतन्य बघेल ने गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए तर्क दिया कि ED ने गिरफ्तारी के लिए जो आधार बताए वे केवल टेम्पलेट ग्राउंड हैं, जिनमें कोई ठोस कारण नहीं है। उन्होंने इसे राजनीतिक प्रतिशोध बताया और कहा कि गिरफ्तारी PMLA की धारा 19 के तहत निर्धारित कानूनी प्रावधानों का उल्लंघन है। उनका कहना था कि तीन सालों से कोई समन जारी नहीं हुआ ऐसे में सहयोग न करने का आरोप निराधार है और ED के पास पहले से ही सभी दस्तावेज उपलब्ध हैं।
हाईकोर्ट ने जहां अग्रिम जमानत याचिका खारिज की, वहीं गिरफ्तारी की वैधता को लेकर आदेश सुरक्षित रख लिया।

