वित्तीय नुकसान और प्राकृतिक खतरों से बचने के लिए खरीद केंद्रों से धान का स्टॉक समय पर उठाना राज्य का कर्तव्य: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट
Amir Ahmad
30 May 2025 1:38 PM IST

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह आदिम जाति सेवा सहकारी समिति मर्यादित कुलहरिया (याचिकाकर्ता संस्था) में संग्रहित धान को समय पर उठाए ताकि लंबे समय तक भंडारण से होने वाले आर्थिक नुकसान और प्राकृतिक क्षति से बचा जा सके।
यह फैसला जस्टिस अमितेन्द्र किशोर प्रसाद की एकलपीठ ने सुनाया। कोर्ट ने कहा कि सरकार की कल्याणकारी भूमिका को देखते हुए यह उसकी जिम्मेदारी है कि वह सरकारी नीति और समझौतों के अनुसार खरीदे गए धान को तय समय पर उठाए।
याचिकाकर्ता समिति ने अपनी याचिका में कहा कि राज्य सरकार द्वारा धान न उठाए जाने से न केवल समिति को आर्थिक नुकसान हो रहा है बल्कि धान भी खराब हो रहा है। लंबे समय तक धान का उचित तरीके से भंडारण न होने के कारण चूहों, कीड़ों और बारिश जैसी प्राकृतिक आपदाओं से नुकसान हो सकता है, जिससे यह सार्वजनिक वितरण या बिक्री के लायक नहीं रहेगा। इससे सार्वजनिक संसाधनों की बर्बादी और सरकारी राजस्व को सीधा नुकसान होगा।
राज्य सरकार ने अपनी दलील में कहा कि याचिकाकर्ता मौसम और धान के स्वाभाविक सूखने का लाभ उठाने की कोशिश कर रही है और इस विषय में निर्णय जल्द लिया जाएगा।
MARKFED (जो धान उठाने की जिम्मेदार एजेंसी है) ने बताया कि उठाव में कोई बाधा नहीं है और केंद्र व राज्य दोनों से निर्देश प्राप्त हैं। केवल थोड़ी मात्रा में धान बाकी है, जिसे भी उठाया जाएगा।
कोर्ट ने यह मानते हुए कि बारिश का मौसम नजदीक है और धान के खराब होने की संभावना है, राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह समिति से धान का वजन और गुणवत्ता की जांच के बाद उठाव करे और इसकी पावती याचिकाकर्ता को दे।
याचिका का निपटारा करते हुए कोर्ट ने स्पष्ट किया कि धान उठाते समय उसका वास्तविक वजन ही मान्य होगा।

